कैंसर के मरीजों को उपचार के दौरान कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जिसमें भयंकर दर्द शामिल है। हालांकि, एक महिला ने हजारों कैंसर रोगियों का इलाज बिना दवा के, केवल घरेलू उपायों से किया।
➡ आइए जानते हैं उनकी चिकित्सा प्रणाली और उन्हें सलाम करते हैं। Budwig Protocol - CANCER LADY:
डॉ. योहाना बुडविज (30 सितंबर 1908 - 19 मई 2003) एक प्रसिद्ध जर्मन जीव रसायनज्ञ और चिकित्सक थीं। उन्होंने भौतिकी, जीव रसायन और औषधि में मास्टर डिग्री प्राप्त की और प्राकृतिक विज्ञान में पीएचडी की। वे जर्मनी में खाद्य और औषधि विभाग में उच्च पद पर कार्यरत थीं और वसा और तेल के क्षेत्र में विशेषज्ञ मानी जाती थीं।
डॉ. ओटो वारबर्ग को 1931 में कैंसर पर उनके शोध के लिए नोबेल पुरस्कार मिला। उन्होंने बताया कि कैंसर का मुख्य कारण कोशिकाओं में ऑक्सीजन की कमी है। डॉ. योहाना ने वारबर्ग के शोध को आगे बढ़ाया और पाया कि अलसी का तेल कैंसर कोशिकाओं को ऑक्सीजन प्रदान करता है।
1952 में, उन्होंने बुडविज प्रोटोकॉल विकसित किया, जिसमें अलसी का तेल और पनीर का मिश्रण शामिल था। इस उपचार ने कैंसर रोगियों को 90% तक सफलता दिलाई।
डॉ. योहाना के उपचार से कैंसर उद्योग को खतरा महसूस हुआ। उन्होंने कई बार नोबेल पुरस्कार को ठुकराया क्योंकि उन्हें डर था कि उनके उपचार के प्रचलन से कैंसर की महंगी दवाओं का व्यवसाय प्रभावित होगा।
कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने उनके खिलाफ षड्यंत्र रचे और उन्हें प्रताड़ित किया। इसके बावजूद, डॉ. योहाना ने अपने शोध को जारी रखा और लाखों रोगियों का उपचार किया।
➡ कैंसररोधी योहाना बुडविज आहार विहार:
डॉ. बुडविज का आहार सरल और सस्ता था। इसमें ताजे, जैविक खाद्य पदार्थों का उपयोग किया जाता था। उन्होंने इलेक्ट्रॉनों से भरपूर खाद्य पदार्थों पर जोर दिया।
उनका आहार विटामिन-डी के लिए धूप के सेवन को भी महत्वपूर्ण मानता था।
डॉ. योहाना ने कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी, और अन्य रासायनिक पदार्थों से परहेज करने की सलाह दी। उनका मानना था कि सभी खाद्य पदार्थ ताजे और जैविक होने चाहिए।
उन्हें विश्वास था कि इस उपचार से धीरे-धीरे कैंसर ठीक हो सकता है और रोगियों को स्वस्थ जीवन जीने में मदद मिल सकती है।