भगवान शिव को समर्पित रुद्रनाथ मंदिर पंच केदार मंदिरों में से एक है और यह मंदिर केदारनाथ वन्यजीव अभयारण्य के भीतर स्थित है। मंदिर के कपाट भक्तों के लिए 18 मई को खुलेंगे। मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 20 किलोमीटर पैदल यात्रा करनी पड़ती है। आवास, भोजन और प्रशिक्षित गाइड जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी के बावजूद देश भर से सैकड़ों तीर्थयात्री और पर्यटक हर साल मंदिर में दर्शन करने आते हैं। इस क्षेत्र में तीर्थयात्रियों के खो जाने के कई मामले पहले भी सामने आ चुके हैं।
केदारनाथ वन्यजीव वन प्रभाग के प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) तरुण एस ने बताया कि तीर्थयात्रा के प्रबंधन में ग्राम-स्तरीय समितियों को शामिल किए जाने से इस बार स्थिति बेहतर होने की संभावना है। उन्होंने बताया कि यात्रियों को प्रशिक्षित गाइड का भी सहयोग मिलेगा। केदारनाथ वन्यजीव वन प्रभाग संरक्षित स्थल के रखरखाव के लिए जिम्मेदार है।
अधिकारी ने बताया कि इस आयोजन में पारिस्थितिकी विकास समितियों को शामिल कर प्रशासन रुद्रनाथ मंदिर के रास्ते में रहने वाले ग्रामीणों की आजीविका में सुधार के साथ-साथ केदारनाथ कस्तूरी मृग और वन्यजीवों के संरक्षण की कोशिश कर रहा है। तीर्थयात्रियों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने और नियंत्रित पर्यटन व तीर्थयात्रा से गांवों को लाभान्वित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
इस कार्य में वन विभाग की सहायता कर रहे पर्यावरण कार्यकर्ता विनय सेमवाल ने बताया कि केदारनाथ अभयारण्य के अधिकारियों ने पिछले वर्ष दिसंबर से इस मामले पर गांवों में कई बैठकें की हैं। ग्राम स्तरीय ‘इको विकास समितियों’ के माध्यम से रुद्रनाथ मंदिर में आने वाले तीर्थयात्रियों से होने वाली आय का लाभ इन गांवों के सभी निवासियों को मिले, इसके लिए एक योजना तैयार की गई है।
edited by : Nrapendra Gupta