नई दिल्ली, 19 मार्च . दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने टेरर फंडिंग मामले के आरोपित और सांसद इंजीनियर रशीद की नियमित जमानत याचिका पर फैसला टाल दिया है. एडिशनल सेशंस जज चंदर जीत सिंह ने नियमित जमानत याचिका पर 21 मार्च को फैसला सुनाने का आदेश दिया.
पटियाला हाउस कोर्ट ने 10 मार्च को इंजीनियर रशीद की संसद सत्र में हिस्सा लेने के लिए अंतरिम जमानत की मांग खारिज कर दी था, जिसके बाद रशीद ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. हाई कोर्ट में ये याचिका लंबित है. 10 मार्च को ही कोर्ट ने इंजीनियर रशीद की नियमित जमानत पर फैसला सुरक्षित रख लिया था.
इसके पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने इंजीनियर रशीद को संसद सत्र में हिस्सा लेने के लिए दो दिन के कस्टडी पेरोल पर रिहा करने की अनुमति दी थी. इंजीनियर रशीद ने हाई कोर्ट में दाखिल जमानत याचिका 24 फरवरी को वापस ले ली थी. हाई कोर्ट ने पटियाला हाउस कोर्ट की स्पेशल एनआईए कोर्ट को निर्देश दिया था कि वो इंजीनियर रशीद की जमानत याचिका पर जितना जल्द हो सके सुनवाई कर फैसला करे.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की ओर से मिले स्पष्टीकरण के बाद दिल्ली हाई कोर्ट की रजिस्ट्री ने बताया था कि पटियाला हाउस कोर्ट का स्पेशल एनआईए कोर्ट इंजीनियर रशीद के खिलाफ दर्ज मामले की सुनवाई कर सकता है. राशिद इंजीनियर ने लोकसभा चुनाव 2024 में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को करीब एक लाख मतों से हराकर जीत हासिल की थी. इंजीनियर रशीद को 2016 में एनआईए ने गिरफ्तार किया था.
पटियाला हाउस कोर्ट ने 16 मार्च 2022 को हाफिज सईद, सैयद सलाहुद्दीन, यासिन मलिक, शब्बीर शाह और मसरत आलम, राशिद इंजीनियर, जहूर अहमद वताली, बिट्टा कराटे, आफताब अहमद शाह, अवतार अहम शाह, नईम खान, बशीर अहमद बट्ट ऊर्फ पीर सैफुल्ला समेत दूसरे आरोपितों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था. एनआईए के मुताबिक पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन, जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों ने जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमले और हिंसा को अंजाम दिया. 1993 में अलगाववादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस की स्थापना की गई.
एनआईए के मुताबिक हाफिज सईद ने हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं के साथ मिलकर हवाला और दूसरे चैनलों के जरिये आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन का लेन-देन किया. इस धन का उपयोग वे घाटी में अशांति फैलाने, सुरक्षा बलों पर हमला करने, स्कूलों को जलाने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का काम किया. इसकी सूचना गृह मंत्रालय को मिलने के बाद एनआईए ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 121, 121ए और यूएपीए की धारा 13, 16, 17, 18, 20, 38, 39 और 40 के तहत केस दर्ज किया था.
/संजय
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/ वीरेन्द्र सिंह