शुक्रवार को यहां जारी हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की विज्ञप्ति में कहा गया है कि आज हमें ज्ञात हुआ कि माननीय उच्चतम न्यायालय ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को भ्रष्टाचार में संलिप्तता के आधार पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय स्थानांतरित कर दिया है।ALSO READ:
एक कमरे में 15 करोड़ रुपए की नकदी मिली : विज्ञप्ति में कहा गया कि वर्मा के बंगले में लगी आग बुझाने आए अग्निशमन विभाग को 15 करोड़ रुपए मिले हैं जिसे समाचार पत्रों में प्रथम पृष्ठ पर प्रकाशित किया गया है। न्यायमूर्ति वर्मा के बंगले में आग लगने के बाद परिजनों ने अग्निशमन विभाग और पुलिस को सूचित किया। आग बुझाए जाने के बाद पुलिस को एक कमरे में 15 करोड़ रुपए की नकदी मिली।ALSO READ:
उच्चतम न्यायालय ने तत्काल इस मामले का संज्ञान लिया : इसमें आगे कहा गया कि उच्चतम न्यायालय ने तत्काल इस मामले का संज्ञान लिया और कॉलेजियम ने माननीय न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को वापस इलाहाबाद उच्च न्यायालय भेजने का सर्वसम्मति से निर्णय किया। न्यायमूर्ति वर्मा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में न्यायाधीश बनाया गया था और अक्टूबर, 2021 में उनका स्थानांतरण दिल्ली उच्च न्यायालय कर दिया गया।
बार एसोसिएशन ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम के इस निर्णय से यह गंभीर प्रश्न उठता है कि क्या इलाहाबाद उच्च न्यायालय कूड़ादान है? यह मामला तब और महत्वपूर्ण हो जाता है जब हम वर्तमान स्थिति की समीक्षा करते हैं। एसोसिएशन ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की कमी है और इस सतत समस्या के बावजूद कई वर्षों से नए न्यायाधीशों की नियुक्ति नहीं की गई है। यह गंभीर चिंता का विषय है कि बार के सदस्यों की न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति करते समय बार से कभी परामर्श नहीं किया गया।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta