जयपुर, 19 मार्च . एक बुजुर्ग महिला जयपुर विकास प्राधिकरण की गलती की सजा भुगत रही है. पिछले दो साल से महिला लगातार जेडीए के चक्कर काट रही है. जेडीए के अधिकारी अपनी गलती सुधारने की बजाय महिला को परेशान करने को आमादा है. महिला को मानसिक ही नहीं आर्थिक परेशानी भी झेलनी पड़ रही है.
मामला के अनुसार कृष्णा विहार कॉलोनी प्रतापनगर में स्वर्ण लता कौशिक ने 1991 में सोसायटी से एक भूखंड लिया था. तब से महिला और उसका परिवार यहां पर मकान बनाकर रह रहा है, लेकिन साल 2018 के जोनल प्लान में जेडीए ने इस भूखंड के एक हिस्से को सार्वजनिक उपयोग के लिए आरक्षित कर दिया. इसके बाद कई बार जेडीए ने अपने कागजों को अपग्रेड किया, लेकिन वह अपनी इस भूल को सुधार नहीं पाया.
प्राप्त जानकारी के अनुसार जेडीए ने इस कॉलोनी का 2007 में नियमन किया था. वर्ष 2023 में उक्त कॉलोनी की पुन: जेडएलसी की गई. इसमें भी आवेदन का भूखंड आवासीय है. श्यामपुरी गृह निर्माण सहकारी समिति द्वारा वर्ष 1991 में सांगानेर प्रताप नगर के पास एक कृष्णा विहार आवासीय कॉलोनी बनाई गई. उक्त कालोनी की कृषि भूमि का आवासीय रूपांतरण जेडीए द्वारा 10 दिसंबर 2002 में किया गया. भवन मानचित्र समिति (ले-आउट प्लान) की 114 वीं बैठक 12 दिसंबर 2007 द्वारा कृष्णा विहार कालोनी का नियमन किया गया, परन्तु कालोनीवासियों को तदसमय जेडीए पट्टे जारी नहीं किए गए. इस कृष्णा विहार कालोनी वासियों द्वारा जेडीए पट्टा नहीं मिलने की वस्तुस्थिति से तत्कालीन नगरीय विकास मंत्री को अवगत कराया गया. राज्य सरकार के निर्देश पर वर्ष 2023 में उपायुक्त जोन-8 द्वारा उक्त कालोनी की पुनः जेडएलसी कर जेडीए पट्टा के लिए कैम्प आयोजित किया गया. आवेदक स्वर्ण लता कौशिक के द्वारा भूखंड संख्या 150, कृष्णा विहार कॉलोनी प्रताप नगर के नियमन उपरांत जेडीए पट्टा के लिए आवेदन किए जाने पर उपायुक्त जोन 8 द्वारा अवगत कराया गया कि आपके आवासीय भूखंड का आंशिक भाग पर वर्ष 2018 सावर्जनिक उपयोग के लिए दर्शाया गया है. इस पर जेडीए ने बाकी हिस्से का पट्टा जारी कर दिया गया, बाकी आंशिक हिस्से का पट्टा जारी नहीं किया गया.
पीडिता 73 वर्षीय स्वर्ण लता कौशिक ने 1000 वर्गगज का भूखंड खरीदा था , जिसमें से 650 वर्गगज का पट्टा जारी हो चुका है. गौरतलब है कि वर्ष 2007 में जेडीए की भवन मानचित्र समिति द्वारा अनुमोदित श्यामपुरी गृह निर्माण सहकारी समिति की योजना की कृष्णा विहार कालोनी में सार्वजनिक उपयोग की भूमि का उल्लेख नहीं है. वर्ष 1998, वर्ष-2011, वर्ष-2025 के मास्टर प्लान में भी इसका उल्लेख नहीं है अर्थात् इस योजना का कोई भी भूमि सार्वजनिक उपयोग के लिए आरक्षित नहीं है अपितु आवेदक उक्त योजना के आवासीय भूखंड संख्या 150 में वर्ष 1993 से रह रहे है. परंतु 2018 जेडीए द्वारा भूलवश आवेदक के भूखंड नम्बर 150 के आंशिक हिस्से को सार्वजनिक उल्लेख कर दिया गया.
तत्कालीन जेडीसी मंजू राजपाल द्वारा कृष्णा बिहार कॉलोनी की आवासीय भूमि पर वर्ष 2018 के जोनल प्लान में सहवन से उल्लेखित सार्वजनिक लैंड के नोट को हटाने के लिए प्रकरण बीपीसी-एलपी में रखे जाने के लिए तत्कालीन उपायुक्त जोन 8 को निर्देशित किया गया. जेडीए स्तर पर उक्त कार्यवाही आज तक लंबित है.
इस सम्बंध में जेडीसी आनंदी ने कहा कि मामले की जानकारी ली जा रही है. जांच के बाद पीडित को पट्टा जारी किया जाएगा.
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/ राजेश