डॉ. नारायण सिंह यादव, जो पशु-पक्षियों की सेवा में अपने जीवन को समर्पित कर चुके थे, अब हमारे बीच नहीं रहे। 88 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ। उनके जाने से कई सामाजिक संगठनों में शोक की लहर दौड़ गई है।
डॉ. यादव का जन्म 25 मार्च 1937 को महेंद्रगढ़ जिले के गांव मांदी में हुआ। उनके पिता मान सिंह ने उन्हें समाजसेवा का पाठ पढ़ाया। प्रारंभिक शिक्षा के बाद, उन्होंने फरीदकोट कॉलेज से वेटनरी में डिप्लोमा और बिकानेर से वेटनरी सर्जरी की डिग्री प्राप्त की। 1958 में हरियाणा पशुपालन विभाग में पशु चिकित्सक के रूप में उनकी नियुक्ति हुई।
एक साक्षात्कार में, डॉ. यादव ने कहा कि उनका पशु प्रेम नौकरी के कारण नहीं, बल्कि एक विचारधारा के तहत था। उन्होंने हरियाणा के विभिन्न जिलों में काम किया और हमेशा बेजुबानों की भलाई के लिए प्रयासरत रहे। उनके परिवार ने भी उनके इस कार्य में हमेशा सहयोग दिया।
1996 में, उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर अनाथ पशु एवं जीव कल्याण समिति की स्थापना की और 15 वर्षों तक इसके अध्यक्ष रहे। उन्हें पशु-पक्षियों की सेवा के लिए कई पुरस्कार भी मिले। वे नियमित रूप से गौशालाओं में जाकर गायों की देखभाल करते थे और उनके लिए चारा और दवाइयां भेजते थे।