कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अधिकारियों का यह कर्तव्य है कि वे लोगों को कानून के प्रति जागरूक करें और सुनिश्चित करें कि सभी नागरिक उसके अनुरूप कार्य करें।
जस्टिस एएस गडकरी और जस्टिस कमल खाटा की खंडपीठ ने 10 मार्च को ठाणे नगर निगम को आदेश दिया था कि रमजान के महीने के समाप्ति के बाद दो हफ्तों के अंदर अवैध ढांचे को गिरा दिया जाए। 14 अप्रैल तक इस प्रक्रिया को पूरा करने का निर्देश दिया गया है। कोर्ट ने नगर निगम की इस दलील को खारिज कर दिया कि विरोध की वजह से यह काम पूरा नहीं हो पाया।
कोर्ट ने कहा कि लोकतांत्रिक राज्य में किसी भी व्यक्ति या समूह को यह अधिकार नहीं है कि वे कानून का उल्लंघन करें या उसका विरोध करें। यह कर्तव्य कानून लागू करने वालों का है कि वे नागरिकों को कानून का पालन करने के लिए मजबूर करें। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर किसी ढांचे का निर्माण गैरकानूनी है, तो उसे हर हाल में गिराया जाएगा।
बता दें कि, यह आदेश निजी हाउसिंग कंपनी 'न्यू श्री स्वामी समर्थ बोरिवडे' की याचिका पर दिया गया, जिसने आरोप लगाया था कि ठाणे जिले में उसकी भूमि पर एक मस्जिद और नमाज कक्ष का अवैध निर्माण किया गया है। याचिका में यह दावा किया गया कि गाजी सलाउद्दीन रेहमतुल्ला हूले उर्फ परदेसी बाबा ट्रस्ट ने 2013 से उनकी 18,122 वर्गमीटर भूमि पर अतिक्रमण किया और उस पर मस्जिद और नमाज कक्ष का निर्माण किया।
जनवरी में ठाणे नगर निगम ने ट्रस्ट को 15 दिनों के भीतर ढांचे को गिराने का आदेश दिया था, साथ ही कहा था कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस महीने की शुरुआत में, नगर निगम ने अदालत को सूचित किया कि ढांचे को आंशिक रूप से गिरा दिया गया था, लेकिन स्थानीय निवासियों के विरोध के कारण बाकी ढांचा नहीं गिराया जा सका।