सपा नेता रामजी लाल सुमन के बयान पर बीजेपी और राजपूत समाज का विरोध
Gyanhigyan March 23, 2025 01:42 AM
राजनीति में नया विवाद


लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन के हालिया बयान ने उत्तर प्रदेश और पूरे देश की राजनीति में हलचल मचा दी है। संसद में दिए गए अपने भाषण में उन्होंने महान योद्धा राणा सांगा के बारे में एक विवादास्पद टिप्पणी की, जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और राजपूत समाज ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। बीजेपी ने इसे राजपूत और हिंदू समुदाय का अपमान करार दिया है और सपा से माफी की मांग की है।


रामजी लाल सुमन का बयान क्या था?


सपा सांसद ने राज्यसभा में बीजेपी नेताओं पर कटाक्ष करते हुए कहा कि बीजेपी के लोग अक्सर यह कहते हैं कि 'मुसलमान बाबर की औलाद हैं।' इसके जवाब में उन्होंने कहा, 'मैं जानना चाहता हूं कि बाबर को लाने वाला कौन था? इब्राहिम लोदी को हराने के लिए बाबर को राणा सांगा ने लाया था। अगर मुसलमान बाबर की औलाद हैं, तो आप लोग उस गद्दार राणा सांगा की औलाद हैं!'


उन्होंने यह भी कहा कि 'भारत के मुसलमान बाबर को नहीं, बल्कि पैगंबर मोहम्मद और सूफी-संतों को अपना आदर्श मानते हैं।'





बीजेपी और राजपूत समाज की प्रतिक्रिया


सपा सांसद के इस बयान के बाद बीजेपी ने इसे देश के महापुरुषों का अपमान बताया और माफी की मांग की।


बीजेपी के पूर्व सांसद संजीव बालियान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' (पहले ट्विटर) पर लिखा, 'धिक्कार है! तुष्टिकरण की सभी हदें पार कर सपा नेता रामजी लाल सुमन ने संसद में 'महान वीर राणा सांगा' को गद्दार कह दिया। यह राजपूत समाज और समस्त हिंदू समाज का घोर अपमान है। सपा को इस शर्मनाक बयान पर पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए।'


यूपी बीजेपी ने भी 'X' पर लिखा —


'सपा के नेता तुष्टिकरण की राजनीति में इतने डूब चुके हैं कि वे विदेशी आक्रांताओं का महिमामंडन करने के लिए भारतीय महापुरुषों को अपमानित करने में जरा भी परहेज नहीं करते। संसद में सपा सांसद की यह टिप्पणी बेहद शर्मनाक है। उन्हें अपने बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए।'


राणा सांगा का परिचय


राणा सांगा, जिनका पूरा नाम महाराणा संग्राम सिंह था, 16वीं सदी के मेवाड़ (वर्तमान राजस्थान, भारत) के एक प्रमुख राजपूत शासक थे। वे सिसोदिया वंश के राजा थे और 1508 से 1528 तक मेवाड़ पर शासन किया। राणा सांगा को उनकी वीरता, युद्ध कौशल और राजपूताना की एकता के प्रयासों के लिए जाना जाता है। उन्होंने अपने शासनकाल में कई युद्ध लड़े, जिनमें सबसे प्रसिद्ध बाबर के खिलाफ खानवा का युद्ध (1527) था।


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