उत्तर प्रदेश का अफसरों वाला गांव: माधोपट्टी की कहानी
Gyanhigyan March 26, 2025 08:42 PM
माधोपट्टी: एक अनोखा गांव

उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में एक ऐसा गांव है, जिसे अफसरों का गांव कहा जाता है। इस गांव का नाम माधोपट्टी है, जहां जन्म लेने वाले अधिकांश लोग आईएएस अधिकारी बनते हैं। यहां के हर घर में कम से कम एक अधिकारी मिल जाता है।


अधिकारी बनने की परंपरा

कहा जाता है कि माधोपट्टी में जन्म लेने वाले व्यक्तियों का भविष्य पहले से ही निर्धारित होता है, और वे बड़े होकर प्रशासनिक अधिकारी बनते हैं। इस गांव में कुल 75 घर हैं, और अब तक 47 लोग आईएएस अधिकारी बन चुके हैं, जो उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।


इतिहास में पहला अधिकारी

1914 में इस गांव का पहला व्यक्ति मुस्तफा हुसैन पीसीएस के लिए चयनित हुआ। वह प्रसिद्ध शायर वामिक़ जौनपुरी के पिता थे। इसके बाद, 1952 में इन्दू प्रकाश सिंह ने आईएएस की परीक्षा पास की और 13वीं रैंक हासिल की। वह कई देशों में भारत के राजदूत भी रहे।


भाईयों का रिकॉर्ड

इन्दू प्रकाश के बाद, गांव के चार सगे भाइयों ने आईएएस बनकर एक नया रिकॉर्ड स्थापित किया। विनय सिंह, जो बिहार के प्रमुख सचिव बने, ने 1955 में परीक्षा पास की। इसके बाद, 1964 में उनके दो भाई छत्रपाल और अजय सिंह ने भी आईएएस बनने में सफलता प्राप्त की।


महिलाओं की उपलब्धियां महिलाएं भी हैं आगे

इस गांव की महिलाएं भी पीछे नहीं हैं। ऊषा सिंह, जो 1980 में आईपीएस अधिकारी बनीं, पहली महिला हैं। इसके बाद कुवंर चंद्रमौल सिंह और उनकी पत्नी इन्दू सिंह ने भी आईपीएस की परीक्षा पास की।


अन्य क्षेत्रों में भी सफलता

गांव के बच्चे अन्य क्षेत्रों में भी सक्रिय हैं। अमित पांडेय, जो केवल 22 वर्ष के हैं, ने कई किताबें प्रकाशित की हैं। अन्मजेय सिंह विश्व बैंक में कार्यरत हैं, जबकि डॉक्टर नीरू सिंह और लालेन्द्र प्रताप सिंह भाभा इंस्टीट्यूट में वैज्ञानिक हैं।


शिक्षा का महत्व इस वजह से बनते हैं अधिकारी

माधोपट्टी के डॉ. सजल सिंह के अनुसार, गांव के लोग केवल अधिकारी बनने का सपना देखते हैं। उन्होंने बताया कि मुर्तजा हुसैन के कमिश्नर बनने के बाद गांव में शिक्षा का स्तर बढ़ा। यहां का औसत लिटरेसी रेट 95% है, जो यूपी के औसत 69.72% से काफी अधिक है।


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