वास्तु शास्त्र के अनुसार भोजन करने के सही तरीके और दिशा
Gyanhigyan March 27, 2025 03:42 PM
वास्तु शास्त्र में दिशाओं का महत्व

वास्तु शास्त्र में दिशाओं का विशेष महत्व है। यह बताया गया है कि किस दिशा में क्या करना शुभ है और क्या अशुभ। यदि इन नियमों का पालन किया जाए, तो घर में सुख और समृद्धि बनी रहती है, और व्यक्ति तेजी से प्रगति करता है। इसके विपरीत, यदि कोई इन नियमों का पालन नहीं करता है, तो उसके जीवन में कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।


मां लक्ष्मी का आशीर्वाद

यदि वास्तु के नियमों का पालन नहीं किया जाता है, तो मां लक्ष्मी भी नाराज हो जाती हैं, जिससे दरिद्रता का सामना करना पड़ता है। जो लोग वास्तु में विश्वास करते हैं, वे जानते हैं कि दिशाओं का कितना महत्व है। सही दिशा में सामान रखने और घर को डिजाइन करने से सफलता प्राप्त होती है। आज हम आपको भोजन करने के नियमों के बारे में बताएंगे।


भोजन करने की दिशा

वास्तु शास्त्र के अनुसार, भोजन करते समय दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके नहीं बैठना चाहिए, क्योंकि यह दिशा यम की मानी जाती है। इस दिशा में भोजन करने से आयु कम होने और स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना होती है। हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके भोजन करना चाहिए, क्योंकि ये दिशाएं देवताओं की मानी जाती हैं।


भोजन करने का तरीका

भोजन करते समय सिर नहीं ढकना चाहिए और हमेशा जूते-चप्पल उतारकर खाना चाहिए। ऐसा न करने से भोजन का अपमान होता है और मां अन्नपूर्णा नाराज हो सकती हैं। बिस्तर पर बैठकर खाना नहीं खाना चाहिए, क्योंकि इससे धन की हानि हो सकती है और कर्ज भी बढ़ सकता है।


भोजन करने की सही जगह

किचन को भोजन करने के लिए सबसे उपयुक्त स्थान माना जाता है। भोजन हमेशा साफ-सुथरे स्थान पर करना चाहिए और यह स्थान शांत होना चाहिए। अपनी प्लेट में उतना ही भोजन लें, जितना आप खा सकें, और भोजन बर्बाद करने से बचें।


स्नान के बाद भोजन

भोजन करने से पहले स्नान करना आवश्यक है और साफ कपड़े पहनकर ही खाना चाहिए। ऐसा करने से मां लक्ष्मी और अन्नपूर्णा प्रसन्न होती हैं। टूटे-फूटे बर्तनों में खाना नहीं खाना चाहिए और जमीन पर हाथ रखकर खाना अशुभ माना जाता है।


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