आंत का अपने सामान्य स्थान से हट जाना आंत का उतरना कहलाता है। यह कभी अंडकोष में चली जाती है, तो कभी पेडु या नाभि के नीचे खिसक जाती है। इसके विभिन्न प्रकार होते हैं, जैसे स्ट्रैगुलेटेड और अम्बेलिकन। जब आंत अपनी जगह से बाहर होती है, तो रोगी को अत्यधिक दर्द और असुविधा का सामना करना पड़ता है।
कब्ज, झटका, तेज खांसी, गिरना, चोट लगना, दबाव पड़ना, या मल त्यागते समय जोर लगाने से आंत बाहर आ जाती है। इसके अलावा, पेट की दीवार कमजोर होने से भी यह समस्या उत्पन्न होती है। जब वायु अंडकोष में जाती है, तो यह शिराओं को रोककर अंडकोष का आकार बढ़ा देती है।
वातज रोग में अंडकोष सामान्य से अधिक रूखे और दर्दनाक होते हैं। पित्तज में अंडकोष लाल और जलन से भरे होते हैं। कफज में अंडकोष ठंडे और भारी होते हैं। रक्तज में अंडकोष काले फोड़ों से भरे होते हैं।
दिन में पुराने चावल, दालें, सब्जियाँ और रात में रोटी या पूड़ी खाना फायदेमंद होता है। लहसुन, शहद, और गर्म पानी से नहाना भी लाभकारी है। वहीं, उड़द, दही, और ठंडे पानी से नहाना जैसे खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए।
रोहिनी: रोहिनी की छाल का काढ़ा 28 मिलीलीटर रोज 3 बार लेने से आंतों की शिथिलता कम होती है।
इन्द्रायण: इन्द्रायण के फलों का चूर्ण 1 ग्राम का चौथा भाग सुबह शाम लेने से लाभ होता है।
मोखाफल: मोखाफल को कमर में बांधने से आंत उतरने की समस्या समाप्त होती है।
भिंडी: भिंडी की जड़ कमर में बांधने से हर्निया ठीक हो जाता है।