आजकल पथरी एक सामान्य समस्या बन गई है, जिसका इलाज घर पर ही संभव है। यह पौधा, जिसे पथर चट्टा या पाखाण भेद कहा जाता है, पथरी को तोड़ने में मदद करता है। आयुर्वेद में इसे भष्मपथरी, पाषाणभेद और पणपुट्टी के नाम से भी जाना जाता है। इसे मेडिकल साइंस में bryophyllum pinnatum के नाम से जाना जाता है।
पत्थर चट्टा का स्वाद खट्टा और नमकीन होता है, जो खाने में भी स्वादिष्ट लगता है।
आप इसके पत्तों को किसी भी प्रकार की मिट्टी में डाल सकते हैं, और यह वहां उग जाएगा। इसकी तासीर सामान्य होती है, इसलिए इसे हर मौसम में खाया जा सकता है।
पत्थर चट्टा के दो पत्तों को तोड़कर अच्छे से धो लें और सुबह-शाम खाली पेट गर्म पानी के साथ 20 से 25 दिन तक सेवन करें। इससे पथरी टूटकर बाहर निकल जाती है। यदि यह पौधा उपलब्ध नहीं है, तो आप होमियोपैथी उपचार का सहारा ले सकते हैं।
होमियोपैथी में एक दवा है जिसका नाम BERBERIS VULGARIS है। इसे किसी भी होमियोपैथी की दुकान से प्राप्त किया जा सकता है।
इस दवा की 10-15 बूंदों को एक चौथाई कप पानी में मिलाकर दिन में चार बार लेना है। यह दवा गॉल ब्लेडर, किडनी, या मूत्रपिंड में मौजूद पथरी को पिघलाने में मदद करती है।