मां-बेटे के रिश्ते में दूरियां बढ़ा सकती हैं ये गलतियां, जानिए चाणक्य की सीख
Newsindialive Hindi March 29, 2025 10:42 AM

मां-बाप और बेटे का रिश्ता दुनिया के सबसे खास और अनमोल रिश्तों में से एक होता है। हर माता-पिता अपने बेटे को बेहतर से बेहतर देने की कोशिश करते हैं और उसकी सफलता के सपने संजोते हैं। लेकिन कई बार, अनजाने में ही सही, वे कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जो उनके और उनके बेटे के रिश्ते में दूरी ले आती हैं। धीरे-धीरे यह दूरी इतनी बढ़ सकती है कि वे एक ही घर में अजनबियों की तरह रहने लगते हैं।

महान विद्वान आचार्य चाणक्य ने भी अपने नीतिशास्त्र में कुछ ऐसी बातों का उल्लेख किया है, जिनका पालन न करने से माता-पिता और बेटे के रिश्ते में खटास आ सकती है। आइए जानते हैं वे गलतियां जो हर माता-पिता को करने से बचना चाहिए।

दूसरों से अपने बेटे की तुलना करना

अक्सर माता-पिता अपने बच्चों की तुलना दूसरों से करते हैं, यह सोचकर कि इससे उनका बेटा मोटिवेट होगा और बेहतर बनने की कोशिश करेगा। लेकिन हकीकत में ऐसा करना बच्चे को हीनभावना और असुरक्षा से भर सकता है।

बार-बार दूसरों से तुलना किए जाने पर बच्चा खुद को कमतर और असफल समझने लगता है।
इससे उसके आत्मविश्वास में कमी आती है और वह माता-पिता से भावनात्मक रूप से दूर हो सकता है।
माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बेटे की योग्यता को समझें और उसे उसकी क्षमता के अनुसार प्रोत्साहित करें।

बेटे के विचारों और भावनाओं का सम्मान ना करना

मां-बाप के लिए उनका बेटा हमेशा बच्चा ही रहता है, लेकिन इस सोच के कारण वे अक्सर उसकी भावनाओं और विचारों को महत्व नहीं देते।

अगर बेटा कोई विचार रखता है या अपनी भावनाएं साझा करना चाहता है, तो उसे नजरअंदाज या टाल देना गलत हो सकता है।
यह आदत धीरे-धीरे बच्चे के मन में माता-पिता के प्रति उदासीनता और नाराजगी पैदा कर सकती है।
माता-पिता को चाहिए कि वे बेटे को सुनें, समझें और उसके विचारों की कद्र करें। अगर वह किसी गलत राह पर है तो उसे प्यार और तर्क के साथ सही दिशा दिखाएं।

सार्वजनिक रूप से बेटे की ज्यादा तारीफ करना

हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बेटा सफल और प्रशंसा के योग्य हो। लेकिन उसकी अत्यधिक तारीफ करना, खासतौर पर सार्वजनिक रूप से, कई बार नुकसानदायक हो सकता है।

चाणक्य के अनुसार, ज्यादा तारीफ करने से लोगों में जलन की भावना आ सकती है, जिससे कोई उसका अहित भी कर सकता है।
कई बार बुरी नजर भी बच्चे की क्षमता और सफलता को प्रभावित कर सकती है।
इसलिए, बेटे को प्रोत्साहित करें लेकिन संयमित और संतुलित तरीके से।

बेटे पर हमेशा अविश्वास जताना

कुछ माता-पिता की आदत होती है कि वे अपने बेटे की हर कोशिश पर शक करते हैं और उसे आगे बढ़ने से पहले ही हतोत्साहित कर देते हैं।

“तुमसे नहीं होगा!”
“तुम हर काम बिगाड़ देते हो!”
“आज तक तुमने कौन सा बड़ा काम किया है?”

ऐसी बातें न सिर्फ बेटे का आत्मविश्वास कमजोर करती हैं बल्कि माता-पिता और बेटे के रिश्ते को भी नुकसान पहुंचाती हैं।
जब माता-पिता अपने बेटे पर भरोसा नहीं जताते, तो धीरे-धीरे वह भी खुद पर भरोसा खोने लगता है।
माता-पिता को चाहिए कि वे बेटे को प्रोत्साहित करें, उसकी क्षमताओं को पहचानें और उसकी मेहनत को सराहें।

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