पटना यूनिवर्सिटी छात्र संघ चुनाव: हिंसा, JDU की गैरमौजूदगी और PK-NSUI का गठजोड़
The Quint March 29, 2025 07:39 PM

लगभग दो वर्ष के अंतराल के बाद पटना विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव हो रहे हैं. बिहार विधानसभा चुनाव से महज छह महीने पहले होने वाले इस चुनाव में छात्रों और राजनीतिक दलों की सक्रिय भागीदारी ने परिसर में खासा उत्साह पैदा किया है. हालांकि, इस बार का चुनाव कई मायनों में अलग है – जहां एक तरफ राज्य की सत्ताधारी पार्टी और पिछली विजेता जदयू की छात्र इकाई ने चुनावी मैदान छोड़ दिया है, वहीं राजनीतिक समीकरणों में नए बदलाव देखने को मिले हैं.

इस चुनाव में प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने पहली बार चुनावी दावपेंच में हिस्सा लिया है. दिलचस्प बात यह है कि जन सुराज ने आरएसएस की छात्र शाखा एबीवीपी से निकटता के आरोपों के बीच अध्यक्ष पद के लिए अपने उम्मीदवार को वापस लेकर कांग्रेस की छात्र शाखा एनएसयूआई के उम्मीदवार का समर्थन करने का फैसला करके पीयूएसयू चुनावों को नया मोड़ दे दिया है.

इस चुनाव की सबसे चर्चित घटना जनरल सेक्रेटरी पद पर निर्दलीय प्रत्याशी सलोनी राज के समर्थकों के साथ हुई मारपीट की रही. आरोप है कि उनके विरोधियों ने उन्हें निशाना बनाया, जिसके बाद परिसर में तनाव बढ़ गया. इस घटना ने चुनावी माहौल को और गरमा दिया है.

PUSU चुनाव: जन सुराज ने किया NSUI का समर्थन

18,000 से अधिक मतदाताओं वाले पटना विश्वविद्यालय (PU) के छात्रसंघ चुनाव दो साल की देरी के बाद हो रहे हैं. पिछला चुनाव नवंबर 2022 में हुआ था. इस बार NSUI और ABVP के अलावा, छात्र राजद और लेफ्ट छात्र संगठन AISA और AISF ने भी अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव, संयुक्त सचिव और कोषाध्यक्ष के पदों के लिए अपने उम्मीदवार उतारे हैं. हालांकि पिछले चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज करने वाली छात्र जेडीयू चुनाव से नदारद है.

पिछले चुनाव में छात्र जेडीयू ने इतिहास में पहली बार पांच केंद्रीय पदों में से चार पर जीत दर्ज की थी. लेकिन इस बार जेडीयू ने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है, जिसके बाद पार्टी के छात्र प्रमुख राधेश्याम ने 21 मार्च को इस्तीफा दे दिया. वहीं साल 2018 में भी जेडीयू ने केवल अध्यक्ष पद की सीट जीती थी, उस समय प्रशांत किशोर(तत्कालीन जेडीयू उपाध्यक्ष) के कथित हस्तक्षेप को लेकर काफी हो-हल्ला मचा था.

जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने इस फैसले के बारे में ज्यादा जानकारी देने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा,

"जेडीयू छात्र विंग पीयू में चुनाव लड़ना चाहता था, लेकिन जेडीयू राज्य इकाई ने इसके खिलाफ फैसला किया. चूंकि यह छात्र संघ का चुनाव है, इसलिए मैं इस पर ज्यादा कुछ बोलने के लिए अधिकृत नहीं हूं"

इस बार, प्रशांत किशोर की पार्टी समर्थित उम्मीदवार पांच केंद्रीय पैनल सीटों में से चार पर मैदान में हैं और उन्होंने खुद उन सभी को मीडिया से मिलवाया. प्रशांत किशोर पीयू को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा न दिए जाने के मुद्दे को भी उठा रहे हैं और सवाल उठा रहे हैं कि एबीवीपी उसी विश्वविद्यालय में वोट कैसे मांग सकती है. वह तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी के बिहारियों के खिलाफ दिए गए विवादित बयान का हवाला देते हुए एनएसयूआई पर भी हमला कर रहे थे.

हालांकि, कुछ दिन बाद ही जन सुराज ने अपने अध्यक्ष पद के प्रत्याशी दिवेश दीनू से समर्थन वापस लेकर NSUI के मनोरंजन कुमार राजा को बिना शर्त समर्थन देने का ऐलान किया. पार्टी ने दावा किया कि दीनू ABVP के साथ मिलकर चुनाव परिणाम को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे थे. हालांकि चार अन्य पदों के लिए इसके उम्मीदवार अभी भी मैदान में हैं.

इस बार पप्पू यादव के उम्मीदवार भी मैदान में नहीं हैं. 2019 में पप्पू यादव की पार्टी के उम्मीदवारों ने अध्यक्ष और संयुक्त सचिव के पद जीते थे. जबकि छात्र राजद और आइसा ने एबीवीपी के वर्चस्व को खत्म करते हुए एक-एक सीट जीती थी. इस बार पप्पू यादव NSUI के साथ हैं.

2022 में छात्र राजद को हार मिली थी. लेकिन इस बार पार्टी अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद कर रही है. छात्र राजद की उम्मीदवार प्रियंका कुमारी अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ रही हैं.

अध्यक्ष पद के लिए AIDSO से लक्ष्मी कुमारी, DISHA से ऋतिक रौशन, AISA से विश्वजीत कुमार, ABVP से मैथिली मृणालिनी और धीरज कुमार निर्दलीय खड़े हैं. चुनाव में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के लिए आठ-आठ उम्मीदवार और महासचिव, संयुक्त सचिव और कोषाध्यक्ष के पदों के लिए सात-सात उम्मीदवार मैदान में हैं.

चुनाव प्रचार के दौरान हिंसा

26 मार्च, 2025 को मगध महिला कॉलेज में 2 छात्र संगठनों के बीच मारपीट हो गई. इस झड़प में निर्दलीय उम्मीदवार सलोनी राज पर अटैक हुआ. साथ ही उनके समर्थकों के साथ मारपीट की गई. इसके बाद सलोनी राज का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. सलोनी राज वीडियो में हमलावरों को खुली चुनौती देती दिखाई दे रही हैं.

हिंसा को लेकर सलोनी राज ने द क्विंट से बताया,

"महिला और निर्दलीय होने की वजह से मुझे टारगेट किया जा रहा हैं. मैं बिना किसी संगठन के आगे बढ़ रही हूं इसलिए मेरे विरोधियों से देखा नहीं जा रहा है. चुनाव में उन्हें अपनी हार दिख रही है इसलिए इस तरह की घटना को अंजाम दे रहे हैं."

सलोनी के समर्थक एहतेशाम इब्राहिम (जिनके साथ मारपीट हुई) ने बताया कि मगध महिला कॉलेज में हमलोग कैंपेन कर रहे थे तभी 30-40 लोग आए और मुझे देखते ही कहा "यही है सलोनी का समर्थक" और लाठी-डंडे से मुझे पीटने लगे.

इसी मारपीट के दौरान न्यूज कवर करने गए एक चैनल के पत्रकार कृष्णनंदन कुमार के साथ भी मारपीट की गई. उपद्रवी छात्रों ने पत्रकार का हाथ तोड़ दिया है. इस मामले ने पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 5 लोगों को हिरासत में लिया है.

25 मार्च को पटना वीमेंस कॉलेज के बाहर भी फायरिंग हुई है. फायरिंग होते ही मौके पर अफरा-तफरी मच गई. इस घटना में एक युवक को चोट लगी है, जिसे PMCH में भर्ती कराया गया.

5 मार्च को पटना यूनिवर्सिटी के दरभंगा हाउस में छात्रों के दो गुटों के बीच झड़प हो गई. छात्रों के एक गुट ने दरभंगा हाउस की दीवार पर सुतली बम फोड़ दिया. बमबाजी की घटना में यूनिवर्सिटी की पार्किंग में खड़ी कारें क्षतिग्रस्त हो गई हैं. पीरबहोर थाने की पुलिस ने बताया कि छात्रों के दो गुटों में विवाद का मामला है.

पुलिस मुख्यालय के लॉ एंड ऑर्डर एडीजी कुंदन कृष्णन ने छात्र संघ चुनाव मामले को लेकर कहा,

"छात्र संघ चुनाव में दो घटनाएं सामने आई हैं, जिसमें पटना वीमेंस कॉलेज के पास फायरिंग की गई थी और मगध महिला कॉलेज में दो गुटों के बीच मारपीट हुई थी. उस मामले में केस दर्ज हुआ और कार्रवाई भी हो गई है. पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है. यह सभी गिरफ्तारियां सीसीटीवी कैमरे से फुटेज के आधार पर की गई है."

उन्होंने कहा कि जो लोग छात्र जीवन में हिंसा अपना रहे हैं हिंसक घटनाएं कर रहे हैं उनका कोई भविष्य नहीं है. वो चार्जशीटेड होंगे, जेल जाएंगे.

छात्रसंघ चुनाव: प्रमुख मुद्दे और उम्मीदवारों के वादे

पटना विश्वविद्यालय (PU) के छात्रसंघ चुनाव में छात्रों ने कई अहम मुद्दों को चुनावी एजेंडा बनाया है. 27 मार्च को साइंस कॉलेज में हुए प्रेसिडेंशियल डिबेट में अध्यक्ष पद के उम्मीदवारों ने अपने-अपने वादे पेश किए.

प्रमुख चुनावी मुद्दे
  • छात्रावास संकट: पर्याप्त हॉस्टल सीटें और मौजूदा सुविधाओं में सुधार

  • केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा: पीयू को सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाने की मांग

  • शुल्क और छात्रवृत्ति: फीस वृद्धि पर रोक और समय पर छात्रवृत्ति वितरण

  • सुरक्षा और महिला सुविधाएं: कैंपस में महिला सुरक्षा और सेनेटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन

  • शैक्षणिक बुनियादी ढांचा: 24x7 लाइब्रेरी, हाई-स्पीड वाई-फाई, क्लासरूम और पुस्तकालयों का आधुनिकीकरण

  • परिवहन सुविधा: विश्वविद्यालय बसों और मेट्रो पास की बेहतर व्यवस्था

  • रोजगार अवसर: बेहतर इंटर्नशिप और प्लेसमेंट के लिए कंपनियों को आकर्षित करना

  • सांस्कृतिक और खेल कार्यक्रम: बड़े स्तर पर वार्षिक उत्सव और खेल प्रतियोगिताएं

डिबेट में एबीवीपी की उम्मीदवार मैथिली मृणालिनी ने कहा, "पीयू के 104 साल के इतिहास में आज तक कोई महिला अध्यक्ष नहीं बनी है, जबकि विश्वविद्यालय में 60 प्रतिशत छात्राएं हैं. अगर मैं चुनी गई तो कैंपस में सुरक्षित माहौल, 24 घंटे खुली लाइब्रेरी और बेहतर प्लेसमेंट सुविधाएं सुनिश्चित करूंगी."

मृणालिनी ने आगे कहा, "हम सभी कॉलेजों में कॉमन रूम बनवाएंगे और सेनेटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन लगवाएंगे. छात्राओं के लिए हॉस्टल और लाइब्रेरी सुविधाओं में सुधार हमारी प्राथमिकता होगी."

वहीं छात्र राजद की उम्मीदवार प्रियंका कुमारी ने चुनाव के समय पर सवाल उठाते हुए कहा, "प्रशासन ने जानबूझकर ईद के मौके पर चुनाव रखकर एक वर्ग को वंचित करने की कोशिश की है. मैं छात्रों के हर आंदोलन में आगे रही हूं और अगर चुनी गई तो छात्रावास सुविधाओं, कैंपस सुरक्षा, 24 घंटे की लाइब्रेरी और बेहतर प्लेसमेंट के लिए काम करूंगी."

एनएसयूआई के उम्मीदवार मनोरंजन कुमार राजा ने अपने संबोधन में कहा, "हम छात्रावास व्यवस्था में सुधार लाएंगे और पूरे कैंपस में वाई-फाई सुविधा उपलब्ध कराएंगे. शिक्षकों की कमी और लाइब्रेरी संसाधनों को बढ़ाना हमारी प्राथमिकता होगी."

छात्रसंघ चुनावों में बढ़ती हिंसक घटनाओं की वजह से 1984 में प्रशासन ने छात्रसंघ चुनावों पर रोक लगा दिया था. लंबे अंतराल के बाद 2012 में PUSU चुनाव फिर से शुरू हुए, जब ABVP ने अध्यक्ष पद जीता. 2018 में हुए दो PUSU चुनावों में, छात्र जेडीयू ने दोनों बार अध्यक्ष पद जीता.

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