किराए पर मकान देने के नियम- (Property Knowledge) । आजकल किराए पर मकान देना अतिरिक्त आय का एक प्रभावी तरीका बन गया है, लेकिन यह समझना जरूरी है कि किराए पर रहने से किराएदार के अधिकार प्रभावित नहीं होते। यदि आप किसी किराए के मकान में निवास कर रहे हैं, तो अपने अधिकारों के बारे में जानना आवश्यक है ताकि मकान मालिक आपको परेशान न कर सके। इस लेख में हम मकान मालिक और किराएदार के अधिकारों से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण नियमों पर चर्चा करेंगे।
1. एग्रीमेंट से अधिक किराया मांगने पर अधिकार-
कई बार मकान मालिक किराएदार को परेशान करते हैं और एग्रीमेंट में तय किराए से अधिक मांग करते हैं। ऐसे मामलों में, किराएदार रेंट कंट्रोल एक्ट 1948 के तहत शिकायत कर सकते हैं। यदि मकान मालिक बिना सूचना के घर खाली करवा रहे हैं, तो भी शिकायत की जा सकती है।
2. तय किराया न देने पर शिकायत कैसे करें-
यदि आप मकान मालिक हैं और आपका किराएदार समय पर किराया नहीं देता है, तो आप भी रेंट कंट्रोल एक्ट के तहत शिकायत कर सकते हैं। भारत सरकार ने किराए को नियंत्रित करने और किराएदारों के अधिकारों की रक्षा के लिए ये कानून बनाए हैं।
3. लिखित शिकायत का अधिकार-
कुछ मकान मालिक एग्रीमेंट में निर्धारित किराए से अधिक मांगते हैं। ऐसे में किराएदार को अधिकार है कि वह कलेक्ट्रेट ऑफिस में रेंट कंट्रोल डिवीजन में लिखित शिकायत दर्ज कराए। शिकायत में अपनी पहचान बताना आवश्यक है।
4. सिक्योरिटी मनी की राशि-
किराए पर रहने के दौरान, मकान मालिक को सिक्योरिटी मनी दी जाती है। कानून के अनुसार, मकान मालिक किराएदार से दो महीने के किराए से अधिक सिक्योरिटी मनी नहीं ले सकता। यदि मकान मालिक किराया बढ़ाना चाहता है, तो उसे कम से कम तीन महीने पहले नोटिस देना होगा।
5. क्या मकान मालिक किराएदार को निकाल सकता है?-
कई किराएदारों के मन में यह सवाल होता है कि क्या मकान मालिक उन्हें कभी भी निकाल सकता है। रेंट कंट्रोल एक्ट के अनुसार, बिना किसी उचित कारण के मकान मालिक किराएदार को नहीं निकाल सकता। किराएदार को निकालने से पहले मालिक को नोटिस देना आवश्यक है।