थायराइड को अक्सर साइलेंट किलर कहा जाता है, क्योंकि इसके लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं और जब तक इसका पता चलता है, तब तक स्थिति गंभीर हो चुकी होती है।
इसकी शुरुआत इम्यून सिस्टम में गड़बड़ी से होती है, लेकिन कई चिकित्सक एंटी बॉडी टेस्ट नहीं करते, जिससे ऑटो-इम्युनिटी का पता नहीं चल पाता। थायराइड ग्रंथि के सही तरीके से कार्य न करने के कारण वजन बढ़ने जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
आजकल की व्यस्त जीवनशैली और खान-पान की आदतों में बदलाव के कारण थायराइड की समस्याएं बढ़ रही हैं। कई लोगों का वजन इतना बढ़ जाता है कि वे सामान्य कार्य भी नहीं कर पाते।
यदि आप थकान महसूस कर रहे हैं या खान-पान पर ध्यान देने के बावजूद वजन बढ़ रहा है, तो यह थायराइड की समस्या का संकेत हो सकता है।
थायराइड ग्रंथि हमारे शरीर में मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करती है। इसमें हार्मोन टी3, टी4 और टीएसएच का असंतुलन विभिन्न समस्याएं उत्पन्न कर सकता है।
मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द: हाइपोथाइरॉइडिज्म में टीएसएच का स्तर बढ़ता है, जिससे मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होता है।
गर्दन में सूजन: थायराइड बढ़ने पर गर्दन में सूजन हो सकती है, जिसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
बालों और त्वचा की समस्या: हाइपोथाइरॉइडिज्म में त्वचा सूखी हो जाती है और बाल झड़ने लगते हैं।
पेट की समस्याएं: हाइपोथाइरॉइडिज्म में कब्ज और हाइपरथाइरॉइडिज्म में डायरिया की समस्या होती है।
हार्मोनल बदलाव: महिलाओं में पीरियड्स के दौरान दर्द और अनियमितता हो सकती है।
मोटापा: हाइपोथाइरॉइडिज्म में वजन तेजी से बढ़ता है।
थकान और अवसाद: बिना मेहनत के भी थकान महसूस होना थायराइड की समस्या का संकेत हो सकता है।
एल्कोहल का सेवन न करें: थायराइड की समस्या में एल्कोहल का सेवन मोटापा बढ़ा सकता है।
समय पर दवाई लें: थायराइड की दवा नियमित रूप से लेने से वजन नियंत्रित रहता है।
हेल्दी भोजन: संतुलित आहार में सब्जियां और फल शामिल करें।
नियमित व्यायाम: सप्ताह में कम से कम पांच दिन व्यायाम करें।
जूस का सेवन: चाय के बजाय चुकंदर, अनानास और सेब का जूस पीना फायदेमंद है।
आँवला चूर्ण और शहद का मिश्रण थायराइड और मोटापे के लिए प्रभावी उपाय है। सुबह खाली पेट एक चम्मच शहद में 5-10 ग्राम आँवला चूर्ण मिलाकर सेवन करें।
यह उपाय 10-15 दिनों में असर दिखा सकता है।