मिल गया जवाब: पहले मुर्गी आई या अंडा, इस सवाल का पक्का जवाब मिल गया ⁃⁃
Himachali Khabar Hindi April 08, 2025 06:42 AM

दुनिया के सबसे पुराने और सिर घुमाने वाले सवालों में मुर्गी-अंडे वाला सवाल है. पहले कौन आया – मुर्गी या अंडा? अगर आप कहेंगे कि पहले मुर्गी आई, तो वो मुर्गी किसी अंडे से आई होगी. अगर आप कहेंगे अंडा, तो वो अंडा किसी मुर्गी ने ही तो दिया होगा. इस तरह ये जवाब पुरानी कैसेट की तरह फंस जाता है. और आदमी सिर धुनता रह जाता है. मुर्गी-अंडे वाला ये सवाल यूनानी सभ्यता जितना पुराना है. दार्शनिक ऐरिस्टोटल (अरस्तु) के सामने भी ये सवाल आया था. ऐरिस्टोटल इस नतीजे पर पहुंचे कि ये एक इनफाइनाइट सीक्वेंस है, इसका कोई ट्रू ओरिजिन नहीं है. यानि ये सिलसिला अनंत है, इसका कोई सही मूल नहीं है. लेकिन हम साइंस के ज़रिए इसका जवाब पता करने की कोशिश कर सकते हैं? मुर्गी एक पक्षी की प्रजाति है. ये ज़्यादा लंबा नहीं उड़ पाते, इसलिए इंसानों ने इन्हें दबोच रखा है. आजकल के पालतू मुर्गे एक जंगली पक्षी के वंशज हैं. इस पक्षी का नाम है जंगलफॉल. 2020 में हुई एक स्टडी के मुताबिक आज के मुर्गों का 71-79% DNA रेड जंगलफॉल से मिलता है. करीब 8000 साल पहले इन्हें पाला जाने लगा. और आज की पालतू मुर्गियों की कहानी शुरू हुई. अंडा क्या होता है? अंडा बेसिकली कुछ परतों वाली एक संरचना होती है, जिसके अंदर भ्रूण रखा होता है. अंडे के अंदर वो सारी चीज़ें होती हैं, जिससे उस भ्रूण का विकास हो सके. अंडों का अस्तित्व बहुत पुराना है. जब इस दुनिया में मुर्गी जैसा दिखने वाला कोई जीव नहीं था, तब भी अंडे हुआ करते थे. डायनासोर अंडे देते थे. कई दूसरी प्रजाति के पक्षी अंडे देते थे. हमें ये कैसे पता? फॉसिल की मदद से. फॉसिल यानी जीवाश्म. जानवर मर जाते हैं, लेकिन उनके अवशेष बचे रह जाते हैं. इन्हें फॉसिल कहते हैं. वैज्ञानिक इन फॉसिल से इनकी उम्र का अंदाज़ा लगा लेते हैं. डायनासोर के अंडे और भ्रूण के सबसे पुराने फॉसिल करीब 19 करोड़ साल पहले के हैं. और सबसे पुराने पक्षियों के जीवाश्म 15 करोड़ साल पुराने हैं. इसका मतलब अंडे तो मुर्गियों से करोड़ों साल पुराने हैं. तो भैया प्रॉब्लम हो गई सॉल्व. अंडे मुर्गी से बहुत पहले आ चुके हैं. भले ही वो मुर्गी का अंडा न होकर दूसरे जीव-जंतुओं का अंडा हो. इस हिसाब से अंडा मु्र्गी से पहले आया. आप कहेंगे, गुरू ये तो चीटिंग है. अपन तो मुर्गी वाले अंडे की बात कर रहे हैं. जमाने भर के अंडों से हमको क्या लेना? तो अपने सवाल को थोड़ा बदल लेते हैं. इस सवाल का जवाब हमें इवॉल्यूशन की मदद से मिल सकता है. इवॉल्यूशन यानी क्रमिक विकास का सिद्धांत. उन्नीसवीं सदी में चार्ल्स डार्विन ने इवॉल्यूशन का कॉन्सेप्ट दिया. कई पीढ़ियों के दौरान हर जीव में बदलाव आते हैं. इसी तरह पृथ्वी पर जीवन का विकास हुआ है. जीवों में ये बदलाव जीन्स बदलने के कारण आते हैं. हर जीव की बुनियाद उसके जीन्स हैं. यही वो कोड है, जो तय करता है कि कोई कैसा जीव बनेगा. उदाहरण के लिए अगर कोई जीव एक पकवान है, तो उसका DNA उसके बनने की रेसिपी है. आपका DNA आपके माता-पिता से आया है. हर पीढ़ी अपनी अगली पीढ़ी को जीन्स ट्रांसफर करती है. जीन्स ट्रांसफर होने के दौरान कई बार बदलाव आ जाते हैं. इन बदलावों को म्यूटेशन कहते हैं. यही म्यूटेशन इवॉल्यूशन की बुनियाद है. मुर्गियों के पूर्वज जंगलफॉल नाम के पक्षी हैं. जंगलफॉल में पीढ़ी दर पीढ़ी कई इवॉल्यूशन होने के बाद मुर्गी बनी होगी. पीढ़ियों में कई म्यूटेशन होते-होते किसी एक म्यूटेशन के बाद पहली मुर्गी पैदा हुई. ऐसा ऐग्ज़ैक्टली कब हुआ ये बता पाना बहुत मुश्किल है. इस पहली मुर्गी के मम्मी-पापा किसी और प्रजाति के जीव कहलाएंगे. उन्हें प्रोटो-चिकन कहते हैं. जब दो प्रोटो-चिकन एक साथ आए, तो एक अंडा तैयार हुआ. इस अंडे के भ्रूण में कुछ म्यूटेशन हुए. ये भ्रूण बड़ा हुआ. और यही आगे चलकर पहली मुर्गी बना. तो पहली मुर्गी एक अंडे से ही बाहर निकलकर आई. इस हिसाब से भी अंडा पहले आया. लेकिन मुर्गी पक्ष वाले अब भी बहस कर सकते हैं. उस अंडे की परिभाषा को लेकर. उस अंडे से पहली मुर्गी तो निकली लेकिन वो अंडा तो प्रोटो चिकन ने दिया था. तो क्या वो मुर्गी का अंडा कहलाएगा या प्रोटो चिकन का अंडा कहलाएगा? आप सर धुनिए.

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