हमारे शरीर में हार्मोन का बैलेंस बहुत जरूरी होता है, खासकर महिलाओं के लिए. उम्र बढ़ने के साथ जैसे-जैसे महिलाएं 40 के करीब पहुंचती हैं और पेरिमेनोपॉज की ओर बढ़ती हैं, वैसे-वैसे हार्मोन में बदलाव आने लगता है. ऐसे में शरीर का हार्मोनल बैलेंस बिगड़ना कई समस्याएं खड़ी कर सकता है जैसे मूड स्विंग, नींद की दिक्कत, वजन बढ़ना, और थकान महसूस होना.
डॉ. चांदनी जैन गुप्ता ( एम् बी बी एस और एम् डी – डर्मेटोलॉजी और एस्थेटिक फिजिशियन, एलांटिस हेअल्थ्केयर, नई दिल्ली) ने कहा कि शायद आपको जानकर हैरानी हो कि कई रेगुलर परफ्यूम्स में ऐसे केमिकल होते हैं जो हार्मोन को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इसे ‘हॉर्मोन डिसरप्टर्स’ कहा जाता है. ये ऐसे सिंथेटिक केमिकल होते हैं जो शरीर में हार्मोन की तरह काम करने लगते हैं और हमारे हार्मोनल सिस्टम को गड़बड़ कर सकते हैं.
अधिकतर परफ्यूम में पैराबेन , phthalates और सिंथेटिक मस्क जैसे केमिकल पाए जाते हैं. ये शरीर के एंडोक्राइन सिस्टम में इंटरफेयर करते हैं. कुछ केमिकल्स शरीर में एस्ट्रोजन जैसा असर दिखाते हैं। इससे शरीर को लगता है कि एस्ट्रोजन बढ़ गया है और यह हार्मोनल इम्बैलेंस पैदा करता है. इसका असर इर्रेगुलर पीरियड्स, मूड स्विंग्स जैसी समस्याओं के रूप में दिख सकता है.
थायरॉयड ग्लैंड हमारे शरीर की एनर्जी, मेटाबोलिज्म और मूड को कंट्रोल करता है. परफ्यूम में मौजूद कुछ केमिकल्स थायरॉयड पर भी असर डाल सकते हैं, जिससे वजन बढ़ना, थकान और डिप्रेशन जैसी दिक्कतें हो सकती हैं.
प्रिवेंशन-
हर दिन परफ्यूम का ज्यादा इस्तेमाल करना खतरनाक हो सकता है, खासकर तब जब आप पहले से हार्मोनल बदलावों से गुजर रही हों. थोड़ी सावधानी और अवेयरनेस से आप अपने हार्मोनल हेल्थ को सुरक्षित रख सकती हैं. अगली बार परफ्यूम खरीदते समय उसके इंग्रेडिएंट्स और असर के बारे में जरूर सोचें.