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होली का पर्व रंगों और खुशियों का प्रतीक है, जिसमें लोग विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद लेते हैं। हालांकि, ये व्यंजन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी हो सकते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, यदि होली के दौरान खानपान का ध्यान नहीं रखा गया, तो इससे वात, पित्त और कफ का संतुलन बिगड़ सकता है, जिससे बाद में स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। आयुर्वेद की विशेषज्ञ डॉ. चंचल शर्मा ने बताया कि इस अवसर पर लोग ठंडाई, लस्सी और मेवे का सेवन करते हैं, जिससे वात दोष का स्तर बढ़ सकता है। वहीं, मसालेदार भोजन से पित्त दोष में वृद्धि होती है, जो सुस्ती, कब्ज और पेट दर्द जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है।
डॉ. चंचल ने सलाह दी है कि अधिक मसालेदार और तले हुए खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचें। लोगों को अपनी भूख के बजाय स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए भोजन करना चाहिए। अधिक खाने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल और शुगर का स्तर बढ़ सकता है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
डॉ. चंचल ने सुझाव दिया कि होली के दौरान दही, लस्सी और हर्बल ड्रिंक्स का सेवन करें, जो वात, पित्त और कफ के संतुलन को बनाए रखने में मदद करते हैं। यदि आप डायबिटीज, हृदय रोग या किडनी की समस्याओं से ग्रस्त हैं, तो अपनी दवाएं समय पर लें और खानपान का विशेष ध्यान रखें। मीठे, तले हुए भोजन और शराब से बचें। होली के दिन कम मात्रा में भोजन करें और हर घंटे कुछ खाने से बचें।
गर्भवती महिलाएं, छोटे बच्चे और बुजुर्गों को होली के दौरान विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। उन्हें केमिकल वाले रंगों से बचना चाहिए और मौसम का ध्यान रखना चाहिए। सुबह और शाम की ठंड में स्वास्थ्य का ध्यान रखना आवश्यक है।