चिलचिलाती गर्मी ना बाबा ना ! आईएमडी ने कहा, 'मानसून में खूब बरसेगी बरखा रानी'
Samachar Nama Hindi April 16, 2025 05:42 AM

नई दिल्ली, 15 अप्रैल (आईएएनएस)। उत्तर भारत इस समय भीषण गर्मी और लू के प्रकोप से जूझ रहा है। अप्रैल के महीने में ही तापमान में तेजी से इजाफा देखने को मिल रहा है, जिससे आम लोगों का खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस बीच, भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने मानसून को लेकर अच्छी खबर दी है, जो गर्मी से परेशान लोगों के लिए राहत भरी है।

आईएमडी ने मंगलवार को अपने पूर्वानुमान में बताया कि इस साल जून से सितंबर तक चलने वाले चार महीने के मानसून सीजन में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है।

आईएमडी के प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि इस बार संचयी वर्षा दीर्घ अवधि औसत (एलपीए) 87 सेंटीमीटर का 105 प्रतिशत रहने का अनुमान है। यानी 2025 के मानसून सीजन में लगभग 87 सेंटीमीटर बारिश हो सकती है। यह सामान्य से अधिक बारिश का संकेत है, जो कृषि और जल संसाधनों के लिए लाभकारी साबित हो सकता है।

महापात्र ने बताया कि इस साल अल नीनो की स्थिति विकसित होने की संभावना नहीं है, जो सामान्यतः कमजोर मानसून का कारण बनती है।

उन्होंने कहा, "अल नीनो की अनुपस्थिति मानसून के लिए सकारात्मक संकेत है। इससे देश के कई हिस्सों में अच्छी बारिश होने की उम्मीद है।"

यह खबर खासकर उन किसानों के लिए राहत भरी है, जो मानसून पर निर्भर हैं।

हालांकि, मौसम विभाग ने यह भी चेतावनी दी है कि अप्रैल से जून के बीच उत्तर और मध्य भारत में लू के दिनों की संख्या में वृद्धि हो सकती है। कई इलाकों में तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना है, जिससे बिजली की मांग बढ़ेगी और जल संकट गहरा सकता है।

मौजूदा समय में उत्तर भारत के कई राज्यों, विशेष रूप से राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और दिल्ली में भीषण गर्मी का दौर जारी है। दिन का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस को पार कर रहा है, जिससे लोगों को घरों में रहने को मजबूर होना पड़ रहा है।

आईएमडी के अनुसार, मानसून सामान्यतः 1 जून के आसपास केरल के तट से भारत में प्रवेश करता है और जून के मध्य तक देश के अधिकांश हिस्सों को कवर कर लेता है। सितंबर के अंत तक यह राजस्थान के रास्ते वापसी करता है। इस बार सामान्य से अधिक बारिश की संभावना ने लोगों में उम्मीद जगाई है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां गर्मी और सूखे की स्थिति चिंता का विषय बनती है।

--आईएएनएस

एकेएस/जीकेटी

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