नींद की दुनिया: इंसानों से लेकर शेर-हाथी-चींटियों तक, हर जीव की अनोखी स्लीप स्टोरी
News Update April 16, 2025 08:25 PM

The World of Sleep : नींद हमारे शरीर और दिमाग की रिचार्जिंग का टाइम होता है। नींद हमारे लिए बेहद जरूरी है और वैज्ञानिकों का कहना है कि इसका महत्व भोजन और पानी से कम नहीं है। सोते वक्त हमारा शरीर कोशिकाओं की मरम्मत करता है, मांसपेशियों को मजबूत करता है और रोगों से लड़ने की ताकत बढ़ाता है। अध्ययन के मुताबिक, 7-8 घंटे की नियमित नींद लेने वाले लोग ज्यादा स्वस्थ और लंबा जीवन जीते हैं।

सिर्फ इंसान ही नहीं सोते है..नींद प्रकृति का वह अनमोल उपहार है जो हर प्राणी को मिला है। लेकिन हर प्राणी का नींद का समय, तरीका और अवधि अलग-अलग है। जैसे अल्बाट्रॉस नाम का समुद्री पक्षी उड़ते वक्त ही ‘ग्लाइड स्लीप’ लेता है, जिसमें यह हवा में गोता लगाकर थोड़ा आराम करता है। या फिर मधुमक्खियां..जो दिन में 5-6 घंटे ‘रेस्टिंग स्टेट’ में रहती हैं, जहां वे शांत बैठकर अपनी ऊर्जा बचाती हैं।

नींद की रोचक कहानी

इंसानों से लेकर जानवरों तक..हर जीव की नींद की कहानी रोचक और अनोखी है। औसतन इंसान 7-8 घंटे सोता है लेकिन ये बात आदत, उम्र, संस्कृति और जीवनशैली पर निर्भर करती है। जैसे कि स्पेन में दोपहर की झपकी लेना बड़ा आम है। वहीं,  कुछ लोग ‘पॉलीफेसिक स्लीप’ (दिन में कई बार छोटी नींद) लेते हैं। लेकिन इंसानों के अलावा अन्य प्राणियों की नींद का क्या समय होता है। वे कितनी देर तक सोते हैं।  आइए, इस नींद के सफर में दुनिया के कुछ प्राणियों की नींद की आदतों को जानते हैं।

जानिए कौन कितना सोता है

शार्क: शार्क की नींद को लेकर हाल के शोध बताते हैं कि शार्क “डाइव स्लीप” की प्रोसेस में नींद लेती हैं, जिसमें वे पानी में तैरते हुए छोटी-छोटी अवधि के लिए सांस रोककर सो जाती हैं। ये उनकी गति बनाए रखने के लिए जरूरी है, क्योंकि कई शार्क प्रजातियों को ऑक्सीजन के लिए लगातार तैरना पड़ता है। औसतन, शार्क दिन में कुछ घंटों के लिए इसी तरह की रुक-रुक कर नींद लेती हैं।

हाथी: धरती का सबसे बड़ा स्थलीय प्राणी हैं आश्चर्यजनक रूप से बहुत कम सोता है। जंगली हाथी दिन में सिर्फ 2-4 घंटे सोते हैं, जबकि पालतू हाथी 4-6 घंटे तक सो सकते हैं। वे अक्सर खड़े-खड़े ही छोटी झपकियां लेते हैं, जिसे ‘स्टैंडिंग स्लीप कहते हैं।

घोड़ा और गधा: घोड़े और गधे दोनों ही कम नींद लेने वाले प्राणी हैं। ये दिन में 3-5 घंटे ही सोते हैं। ये प्राणी ‘पॉलीफेसिक स्लीप’ अपनाते हैं, यानी छोटी-छोटी झपकियों में नींद लेते हैं, जिन्हें ‘नैप्स’ कहते हैं। घोड़े खड़े-खड़े सो सकते हैं क्योंकि उनके पैरों में लॉकिंग मैकेनिज्म होता है, जो उन्हें गिरने से बचाता है।

गाय: गायें दिन में 3-4 घंटे की नींद लेती हैं, जो ज्यादातर छोटी झपकियों के रूप में होती है। वे “रुमिनेशन” (जुगाली) के दौरान अक्सर आराम करती हैं, जो नींद का एक रूप हो सकता है। गायों की नींद उनकी पाचन प्रक्रिया से जुड़ी है। जुगाली के दौरान वे एनर्जी सेव करती हैं, जो नींद की कमी को पूरा करता है।

चींटी: ये नन्हीं प्राणी बहुत कम सोती हैं। उनकी नींद को “माइक्रो-स्लीप” कहा जाता है। एक चींटी दिन में अलग-अलग अंतराल में कुछ मिनटों की झपकियां लेती है, जो कुल मिलाकर दिनभर में 4-5 घंटे की नींद के बराबर हो सकती है। उनकी नींद का यह तरीका कॉलोनी की उत्पादकता को बनाए रखता है।

मछली: मछलियों की नींद प्रजाति के आधार पर भिन्न होती है। कुछ मछलियाँ जैसे टूना, लगातार तैरते हुए नींद लेती हैं जबकि अन्य, जैसे कोरल मछलियाँ रात में छिपकर आराम करती हैं। औसतन, मछलियाँ दिन में कुछ घंटों के लिए निष्क्रिय रहती हैं।मछलियों की नींद उनके पर्यावरण और शारीरिक जरूरतों पर निर्भर करती है। यह उन्हें शिकारियों से बचाने और ऊर्जा संरक्षित करने में मदद करती है।

खरगोश: खरगोश दिन में 8-9 घंटे सोते हैं, जो छोटी-छोटी झपकियों में बँटी होती है। वे ‘क्रीपसकुलर’ प्राणी हैं, यानी सुबह और शाम को अधिक सक्रिय रहते हैं।

कुत्ता और बिल्ली: कुत्ते दिन में 12-14 घंटे सोते हैं, जबकि बिल्लियाँ 12-16 घंटे तक सो सकती हैं। दोनों ही पॉलीफेसिक नींद लेते हैं, यानी दिन भर में कई झपकियाँ। उनकी नींद का यह पैटर्न उनके पालतू स्वभाव और शिकारी प्रवृत्तियों से जुड़ा है। बिल्लियाँ खासतौर से ऊर्जा बचाने के लिए लंबी नींद लेती हैं।

चूहा: चूहे दिन में 12-14 घंटे की नींद लेते हैं, जो छोटी-छोटी झपकियों में बँटी होती है। वे रात में अधिक सक्रिय होते हैं। चूहे “नॉक्टर्नल” (निशाचर) प्राणी हैं, यानी वे रात में ज्यादा सक्रिय रहते हैं और दिन में आराम करते हैं। यह आदत उनकी प्राकृतिक रक्षा रणनीति का हिस्सा है, क्योंकि अंधेरे में शिकारियों से बचने की संभावना अधिक होती है।

टाइगर और शेर: टाइगर और शेर, दोनों बड़े बिल्ली प्रजाति के प्राणी, दिन में 15-18 घंटे तक सोते हैं। वे दिन के समय छायादार स्थानों में आराम करते हैं। उनकी नींद का यह पैटर्न शिकार के लिए ऊर्जा संरक्षित करने और गर्म जलवायु में ठंडक बनाए रखने के लिए है।

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