दुनिया की पहली महिला सुशी शेफ चिजुको किमुरा ने जीता मिशेलिन स्टार, पति की याद में मिली सफलता
newzfatafat April 17, 2025 04:42 PM
दुख से सफलता की ओर: चिजुको किमुरा की कहानी

दुख से सफलता की ओर: जापान की 54 वर्षीय शेफ चिजुको किमुरा ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। वह पहली महिला सुशी शेफ बन गई हैं, जिन्हें मिशेलिन स्टार से सम्मानित किया गया है। मिशेलिन स्टार, खाना पकाने की दुनिया में सबसे बड़ा पुरस्कार माना जाता है, और किमुरा ने इसे प्राप्त करके न केवल अपने कौशल को साबित किया, बल्कि अपने दिवंगत पति शुनेई किमुरा के सपने को भी साकार किया।


पति की प्रेरणा से शुरू हुआ सुशी शेफ का सफर

चिजुको किमुरा ने कभी भी शेफ बनने का सपना नहीं देखा था। पहले वह एक टूर गाइड के रूप में कार्यरत थीं, लेकिन कोविड-19 महामारी के चलते उनकी नौकरी चली गई। इस दौरान, उनके पति ने पेरिस में एक रेस्टोरेंट खोलने का निर्णय लिया। चिजुको ने अपने पति से मछली काटने, चावल पकाने और रेस्टोरेंट चलाने की कला सीखी। जब उनके पति की बीमारी बढ़ी, तो चिजुको ने रेस्टोरेंट की पूरी जिम्मेदारी संभाली और उन्हें हर कदम पर सहयोग दिया।


पति के निधन के बाद किमुरा ने संभाली रेस्टोरेंट की बागडोर

पति के निधन के बाद, किमुरा ने उनके रेस्टोरेंट की जिम्मेदारी पूरी निष्ठा से संभाली। उन्होंने टीम को मजबूत करने के लिए मास्टर सुशी शेफ ताकेशी मौरूका को अपने साथ जोड़ा। किमुरा ने एक मजबूत टीम बनाई और लगातार मेहनत और समर्पण से अपने रेस्टोरेंट और व्यापार को बढ़ाया। उनके इस प्रयास को सराहा गया और उन्होंने केवल पांच साल में मिशेलिन स्टार हासिल किया, जो किसी भी मास्टर सुशी शेफ के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती है।


महज पांच साल में मिली बड़ी सफलता

आमतौर पर, मास्टर सुशी शेफ बनने के लिए 10 साल की अप्रेंटिसशिप की आवश्यकता होती है, लेकिन किमुरा ने केवल पांच साल में यह मुकाम हासिल किया। यह उनकी मेहनत का परिणाम है और यह दर्शाता है कि अगर किसी में संकल्प और मेहनत हो, तो वह कम समय में भी बड़ी सफलता प्राप्त कर सकता है।


किमुरा की जीत, उनके पति की याद में

चिजुको किमुरा ने मिशेलिन स्टार अपने दिवंगत पति की याद में जीता। उन्होंने कहा, “मैंने ये स्टार अपने पति की वजह से जीता है। अगर शुनेई को कभी स्टार नहीं मिलता, तो मुझे खुद स्टार पाने की इतनी इच्छा नहीं होती।” किमुरा का यह मिशेलिन स्टार न केवल उनके कौशल का प्रमाण है, बल्कि यह उनके दिवंगत पति के सपने को पूरा करने का भी प्रतीक है।


महिला शक्ति का प्रतीक

किमुरा की यह यात्रा महिलाओं के लिए एक प्रेरणा है। उन्होंने यह साबित किया है कि किसी भी कठिनाई से बाहर निकलकर, मेहनत और समर्पण से हर सपने को पूरा किया जा सकता है। किमुरा की सफलता यह सिखाती है कि जब तक हम खुद पर विश्वास करते हैं, तब तक कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता।


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