सुपरस्टार शाहरुख खान की पत्नी गौरी खान का मुंबई स्थित आलीशान रेस्तरां ‘टोरी’ अचानक लाइमलाइट में आ गया। हाल ही एक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर व यूट्यूबर सार्थक सचदेवा ने आरोप लगाया कि गौरी के रेस्तरां में लोगों को नकली पनीर परोसा जा रहा है। ऐसे में अब ‘टोरी’ की ओर से उनके व्यंजनों में मिलावटी चीजों के इस्तेमाल के सभी दावों को खारिज कर दिया गया है। दरअसल हुआ यूं कि बुधवार (16 अप्रैल) को यूट्यूबर सार्थक सचदेवा ने मुंबई में कई मशहूर हस्तियों के रेस्तरां का दौरा किया। वह यह पता लगाना चाहते थे कि कौनसे रेस्तरां अच्छी गुणवत्ता वाला पनीर परोस रहे हैं और कौनसे सस्ते और नकली पनीर इस्तेमाल कर रहे हैं।
सार्थक आयोडीन टिंचर की शीशी लेकर दिग्गज क्रिकेटर विराट कोहली के ‘वन 8 कम्यून’, शिल्पा शेट्टी के ‘बैस्टियन’, बॉबी देओल के ‘सम प्लेस एल्स’ में गए। उन्होंने सबमें पनीर के बने आइटम ऑर्डर किए। इसके बाद सार्थक ने पनीर के टुकड़े को पानी की कटोरी में धोया ताकि उसके ऊपर लगा तेल और मसाला हट जाए। इसके बाद उसने उस पनीर के टुकड़े पर आयोडीन की बूंदें डालीं। इनमें से किसी भी रेस्तरां में पनीर का कोई भी टुकड़ा काला नहीं पड़ा। हालांकि सार्थक ने जैसे ही ‘टोरी’ में आयोडीन टेस्ट किया, तो पनीर काला हो गया।
सार्थक ने वीडियो में कहा, “शाहरुख खान के रेस्टोरेंट में पनीर नकली था। ये देखकर मेरे तो होश उड़ गए थे!” सार्थक का वीडियो वायरल होते ही ‘टोरी’ रेस्टोरेंट ने रिएक्शन दी। उन्होंने लिखा, “आयोडीन परीक्षण स्टार्च की उपस्थिति को दर्शाता है, पनीर की प्रामाणिकता को नहीं। चूंकि डिश में सोया-आधारित सामग्री है, इसलिए यह प्रतिक्रिया अपेक्षित है। हम अपने पनीर की शुद्धता और ‘टोरी’ में अपनी सामग्री की अखंडता के साथ खड़े हैं।” उल्लेखनीय है कि ‘टोरी’ अपने शानदार इंटीरियर और महंगे खाने के लिए जाना जाता है। इसकी गिनती चुनिंदा लग्जरी रेस्टोरेंट्स में होती है। बीते साल ही गौरी के इस रेस्टोरेंट की लॉन्चिंग हुई थी। इसमें बॉलीवुड के नामी सितारे पहुंचे थे। वैसे अब ये सितारों के लिए पार्टी का मुख्य केंद्र बना हुआ है।
अनुराग कश्यप ने जताई जातिवादी तत्वों के दबाव और सेंसरशिप की प्रक्रियाओं पर नाराजगी
फिल्ममेकर अनुराग कश्यप अक्सर अपने बयानों को लेकर चर्चाओं में रहते हैं। फिलहाल उन्होंने प्रतीक गांधी और पत्रलेखा अभिनीत फिल्म 'फुले' की रिलीज पर लगी अस्थायी रोक पर नाराजगी जताई है। उन्होंने इंस्टा स्टोरी शेयर कर जातिवादी तत्वों के दबाव और सेंसरशिप की प्रक्रियाओं पर सवाल खड़े किए हैं। साथ ही सेंसर बोर्ड और सरकार पर जमकर निशाना साधा। अनुराग ने लिखा कि मेरी जिंदगी का पहला नाटक ज्योतिबा और सावित्रीबाई फुले पर था। भाई अगर जातिवाद नहीं होता इस देश में, तो उनको क्या जरूरत थी।
अब ये ब्राह्मण लोगों को शर्म आ रही है या वो शर्म में मरे जा रहे हैं या फिर एक अलग ब्राह्मण भारत में जी रहे हैं जो हम देख नहीं पा रहे हैं। जब फिल्म सेंसरशिप के लिए जाती है तो बोर्ड में चार सदस्य होते हैं। फिर बाहरी समूहों और संगठनों को फिल्म तक कैसे पहुंच मिलती है। पूरा सिस्टम ही धांधली वाला है। ‘धड़क 2' की स्क्रीनिंग में सेंसर बोर्ड ने बोला, मोदीजी ने भारत में जाति व्यवस्था खत्म कर दी है। उसके आधार पर ‘संतोष’ भी भारत में रिलीज नहीं हुई। अब ब्राह्मण को समस्या है फुले से। भैया, जब जाति व्यवस्था ही नहीं है तो काहे का ब्राह्मण?
कौन हो आप? जब जाति व्यवस्था नहीं थी तो ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई क्यों थे? अनुराग ने 'पंजाब 95', 'तीस', 'धड़क 2' जैसी फिल्मों का उदाहरण देते हुए लिखा, “मुझे नहीं पता कि इस जातिवादी, क्षेत्रवादी, नस्लवादी सरकार के एजेंडे को उजागर करने वाली और कितनी फिल्में ब्लॉक की गई हैं। उन्हें अपना चेहरा आईने में देखने में शर्म आती है। उन्हें इतनी शर्म आती है कि वो खुलकर यह भी नहीं बता सकते कि फिल्म में ऐसा क्या है जो उन्हें परेशान करता है।”
बता दें अनंत महादेवन के निर्देशन में बनी 'फुले' 11 अप्रैल को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली थी, लेकिन महाराष्ट्र के एक ब्राह्मण समुदाय ने फिल्म के एक चित्रण पर आपत्ति जताते हुए विरोध किया जिसके चलते फिल्म की रिलीज रोक दी गई। अब फिल्म 25 अप्रैल को रिलीज हो सकती है।