हमेशा से यह माना जाता रहा है कि उच्च कोलेस्ट्रॉल हार्ट अटैक का मुख्य कारण है, लेकिन हाल के अध्ययन इस धारणा को चुनौती दे रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि एक अन्य बीमारी, जो भारत में तेजी से फैल रही है, अब हार्ट अटैक का प्रमुख कारण बनती जा रही है। यह जानकारी न केवल चौंकाने वाली है, बल्कि यह हमें अपनी सेहत के प्रति अधिक सजग रहने की आवश्यकता का भी एहसास कराती है।
हालिया अध्ययनों से पता चला है कि डायबिटीज और इससे जुड़ी जटिलताएं हार्ट अटैक का सबसे बड़ा खतरा बन रही हैं। भारत में डायबिटीज के रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, और यह न केवल रक्त शर्करा को प्रभावित करती है, बल्कि हृदय स्वास्थ्य को भी गंभीर नुकसान पहुंचाती है। अनियंत्रित डायबिटीज धमनियों में रुकावट, उच्च रक्तचाप और अन्य हृदय संबंधी समस्याओं को बढ़ावा देती है। विशेषज्ञों का मानना है कि उच्च कोलेस्ट्रॉल की तुलना में, अनियंत्रित डायबिटीज हार्ट अटैक के जोखिम को अधिक बढ़ाती है।
भारत को अब 'डायबिटीज की राजधानी' कहा जाने लगा है, और इसके पीछे कई कारण हैं। बदलती जीवनशैली, तनाव, अस्वास्थ्यकर खानपान और शारीरिक गतिविधियों की कमी ने इस बीमारी को महामारी का रूप दे दिया है। विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में, जहां लोग फास्ट फूड और निष्क्रिय जीवनशैली के शिकार हैं, डायबिटीज और हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। युवा पीढ़ी भी इस खतरे से अछूती नहीं है, जो इस समस्या को और गंभीर बनाता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि हार्ट अटैक से बचने के लिए डायबिटीज को नियंत्रित करना अत्यंत आवश्यक है। नियमित रक्त शर्करा की जांच, संतुलित आहार, दैनिक व्यायाम और तनाव प्रबंधन इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। इसके अलावा, धूम्रपान और अत्यधिक शराब के सेवन से बचना भी आवश्यक है। समय-समय पर डॉक्टर से परामर्श और हृदय स्वास्थ्य की जांच भी जोखिम को कम कर सकती है।
यह जानकारी हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हम अपनी सेहत को कितनी गंभीरता से लेते हैं। डायबिटीज और हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों को देखते हुए, समाज में जागरूकता फैलाना अत्यंत आवश्यक है। सरकार, स्वास्थ्य संगठन और सभी को मिलकर इस दिशा में कदम उठाने होंगे। स्कूलों, कार्यस्थलों और समुदायों में स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रमों को बढ़ावा देना एक सकारात्मक शुरुआत हो सकती है।