शादी एक ऐसा महत्वपूर्ण मोड़ है, जहां दो व्यक्ति एक-दूसरे के साथ जीवनभर रहने का वादा करते हैं। भारत जैसे विविधता से भरे देश में, हर धर्म और समुदाय की शादी की प्रक्रिया अलग होती है। लेकिन शादी के बाद एक ऐसा दस्तावेज होता है, जो सभी के लिए आवश्यक है – मैरिज सर्टिफिकेट।
यह सर्टिफिकेट न केवल पति-पत्नी के बीच के वैवाहिक संबंध का कानूनी प्रमाण है, बल्कि कई कानूनी और प्रशासनिक कार्यों में इसकी आवश्यकता होती है। हालांकि, कुछ विशेष परिस्थितियों में शादी के बावजूद मैरिज सर्टिफिकेट जारी नहीं किया जाता। यदि आप भी इसे बनवाने की सोच रहे हैं, तो इन नियमों को जानना आपके लिए आवश्यक है।
भारत में विवाह को एक सामाजिक बंधन के साथ-साथ कानूनी अधिकारों और कर्तव्यों का आधार भी माना जाता है। शादी के बाद मैरिज सर्टिफिकेट बनवाना कई मामलों में फायदेमंद होता है, जैसे पासपोर्ट बनवाना, वीज़ा आवेदन, बैंकिंग कार्यवाही, बीमा पॉलिसी क्लेम, और संपत्ति में अधिकार जताना। विशेष रूप से विवाहित महिलाओं के लिए यह दस्तावेज़ कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है।
अब उन विशेष परिस्थितियों पर चर्चा करते हैं, जिनमें मैरिज सर्टिफिकेट नहीं बनाया जाता:
भारत में विवाह के लिए कानूनी उम्र निर्धारित की गई है:
लड़की के लिए न्यूनतम उम्र: 18 वर्ष
लड़के के लिए न्यूनतम उम्र: 21 वर्ष
यदि शादी के समय पति या पत्नी की उम्र इस सीमा से कम है, तो यह शादी कानूनन अमान्य मानी जाती है। ऐसी स्थिति में विवाह का पंजीकरण नहीं किया जा सकता और मैरिज सर्टिफिकेट जारी नहीं किया जाएगा। यह नियम बाल विवाह को रोकने के लिए बनाया गया है।
यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य राज्य में विवाह करता है और वहां के नियमानुसार पंजीकरण नहीं कराता, तो उसे अपने मूल निवास स्थान पर मैरिज सर्टिफिकेट बनवाने में कठिनाई हो सकती है। उदाहरण के लिए, यदि कोई दिल्ली निवासी दिल्ली के बाहर शादी करता है और वहीं पंजीकरण नहीं कराता, तो दिल्ली में उसका मैरिज सर्टिफिकेट नहीं बन पाएगा।
यदि विवाह के बाद पाँच वर्षों तक मैरिज सर्टिफिकेट के लिए आवेदन नहीं किया गया, तो सामान्य प्रक्रिया के तहत सर्टिफिकेट बनवाना संभव नहीं होगा। ऐसी स्थिति में विशेष अनुमति की आवश्यकता होती है, और कई मामलों में आवेदन अस्वीकार भी किया जा सकता है।
मैरिज सर्टिफिकेट के लिए आवेदन करते समय निम्नलिखित शर्तों का पालन अनिवार्य है:
शादी भारतीय परंपरा और कानूनों के अनुसार संपन्न होनी चाहिए।
दोनों पक्षों का आपसी सहमति से विवाह होना चाहिए।
दोनों पक्षों का अन्य विवाह संबंधी प्रतिबंधों का पालन करना चाहिए।
विवाह समारोह के समय दो गवाहों की उपस्थिति आवश्यक होती है।
शादी के 30 दिनों के भीतर विवाह पंजीकरण के लिए आवेदन करना चाहिए।
यदि 30 दिन के भीतर आवेदन नहीं कर पाते हैं, तो लेट फीस के साथ 5 वर्षों तक आवेदन किया जा सकता है।
पाँच वर्ष के बाद आवेदन करने के लिए संबंधित रजिस्ट्रार से विशेष अनुमति लेनी पड़ती है।
मैरिज सर्टिफिकेट बनवाना एक सरल लेकिन महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिसे समय रहते पूरा करना चाहिए। नियमों की जानकारी और पालन न करने पर आवेदन अस्वीकार हो सकता है, जिससे भविष्य में कई कानूनी और व्यक्तिगत समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
इसलिए, यदि आप शादी करने जा रहे हैं या हाल ही में शादी की है, तो सुनिश्चित करें कि आपकी उम्र कानूनन निर्धारित सीमा के भीतर हो, विवाह की प्रक्रिया विधिवत तरीके से पूरी हो, और समय पर मैरिज सर्टिफिकेट के लिए आवेदन कर दिया जाए।