भारत में हर साल लाखों लोग लिवर की बीमारी से प्रभावित होते हैं. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के अनुसार, यह देश में मौत का दसवां सबसे आम कारण है. हर साल लगभग 10 लाख नए मरीज क्रॉनिक लिवर डिजीज (लंबे समय तक चलने वाली लीवर की बीमारी) से पीड़ित पाए जाते हैं. लिवर कैंसर भी एक बड़ी समस्या बन चुका है, जो कैंसर का पांचवां सबसे आम प्रकार है और कैंसर से होने वाली मौतों में तीसरे स्थान पर हैं.
डॉ. लवकेश आनंद (एसोसिएट डायरेक्टर और यूनिट हेड – गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, हेपेटोलॉजी और एंडोस्कोपी, मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, द्वारका) ने बताया कि लिवर हमारे शरीर का सबसे बड़ा आंतरिक अंग है. यह शरीर के लिए कई ज़रूरी काम करता है – जैसे भोजन से पोषक तत्वों को निकालना, खून को साफ करना, पित्त (बाइल) बनाना, हार्मोन का संतुलन बनाए रखना, ब्लड शुगर नियंत्रित करना, खून जमाना और संक्रमण से लड़ना. इसलिए अगर लिवर को कोई चोट या नुकसान होता है और समय पर इलाज न हो, तो यह जानलेवा हो सकता है.
लिवर को नुकसान पहुंचाने वाले कारण-
शराब का सेवन: शराब से लिवर को सीधा नुकसान पहुंचता है, जिसे अल्कोहॉलिक लिवर डिजीज कहते हैं. यह आजकल तेजी से बढ़ रहा है.
वजन और शुगर से जुड़ी समस्याएं: जो लोग मोटापे, डायबिटीज़ या बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल से परेशान हैं, उनमें नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) देखने को मिलती है. यह बीमारी अब एक मल्टीसिस्टम रोग मानी जाती है क्योंकि यह दिल, किडनी, हड्डियों और कई तरह के कैंसर से जुड़ी हो सकती है.
वायरल हेपेटाइटिस: यह बीमारी पूरी दुनिया में 325 मिलियन लोगों को प्रभावित करती है और हर साल करीब 14 लाख लोगों की जान लेती है. भारत में हेपेटाइटिस बी के मरीजों की संख्या दुनिया में दूसरे नंबर पर है.
अन्य कारण: दवाओं से होने वाला नुकसान, ऑटोइम्यून बीमारी और कुछ आनुवंशिक (जेनेटिक) कारण भी लीवर रोगों की वजह बन सकते हैं.
लिवर की बीमारी के लक्षण-
लिवर की बीमारी को साइलेंट किलर कहा जाता है क्योंकि शुरुआत में इसके लक्षण बहुत हल्के या नहीं के बराबर होते हैं. जब तक बीमारी बढ़ती है, तब तक लिवर काफी हद तक खराब हो चुका होता है.
शुरुआती लक्षण: जी मिचलाना, उल्टी, पेट फूलना, कमजोरी, थकान, भूख कम लगना.
बढ़े हुए लक्षण: जॉन्डिस, पेट में सूजन , टांगों में सूजन, खून की उल्टी, काले रंग का मल, मानसिक भ्रम या बोलचाल में दिक्कत आना.
प्रिवेंशन-
लिवर की देखभाल करना हमारे अच्छे स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है. समय पर जांच और सतर्कता से हम इस खतरनाक बीमारी से खुद को और अपनों को बचा सकते हैं.