बागभट्ट जी सुबह दूध पीने से मना करते हैं, लेकिन चाय में दूध का उपयोग होता है। बागभट्ट जी के ग्रंथों में चाय का उल्लेख नहीं है, क्योंकि चाय का आगमन केवल 250 साल पहले हुआ था।
हालांकि, उन्होंने काढ़े का उल्लेख किया है। उनका कहना है कि जो काढ़ा वात, पित्त और कफ को कम करता है, उसे सुबह दूध में मिलाकर पीना चाहिए। अर्जुन की छाल का काढ़ा विशेष रूप से वात को कम करने में सहायक है। यह रक्त की एसिडिटी को भी नियंत्रित करता है, जो हार्ट अटैक का कारण बन सकती है।
नवंबर, दिसंबर और फरवरी में वात का प्रकोप बढ़ता है। इस समय अर्जुन की छाल का काढ़ा गर्म दूध में मिलाकर पीना औषधीय लाभ प्रदान करता है। ध्यान रखें कि यह काढ़ा हमेशा गर्म होता है, इसलिए इसे ठंड के मौसम में ही उपयोग करें।
यदि आप सुबह दूध पीना चाहते हैं, तो अर्जुन की छाल के काढ़े के साथ इसे मिलाएं। इससे आपको हार्ट अटैक से बचने में मदद मिलेगी और यह आपके शरीर से विषाक्त पदार्थों को भी बाहर निकाल देगा।
अर्जुन की छाल की कीमत केवल 20 रुपये प्रति किलो है, जबकि चाय 200 रुपये प्रति किलो और कॉफी 1400 रुपये प्रति किलो बिकती है। इसलिए, ठंड के मौसम में चाय की जगह अर्जुन की छाल का काढ़ा दूध के साथ पीना अधिक फायदेमंद है।
एक गिलास दूध में आधा चम्मच अर्जुन की छाल का पाउडर मिलाएं। यदि गुड़ उपलब्ध हो, तो उसे मिलाना बेहतर है। अन्यथा, काकवी या खांड का उपयोग करें। चीनी का उपयोग न करें, लेकिन यदि मिश्री मिले, तो वह गुड़ से बेहतर है। सोंठ मिलाने से काढ़ा और भी प्रभावी हो जाएगा।
इस काढ़े का सेवन करने से शरीर के वात संबंधी रोगों जैसे घुटने का दर्द, कंधे का दर्द, डायबिटीज और हार्ट अटैक से राहत मिलती है।