ALH ध्रुव हेलीकॉप्टर अभी भी ग्राउंडेड, सैन्य अभियानों पर पड़ रहा असर
देश में स्वदेशी रूप से विकसित एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर (ALH) ‘ध्रुव’ एक बार फिर चर्चा में है। 5 जनवरी 2025 को पोरबंदर में कोस्ट गार्ड का एक ALH क्रैश हुआ था, जिसके बाद से सभी ALH हेलीकॉप्टरों की उड़ान पर रोक लगी हुई है। जब तक हादसे के कारणों का पता नहीं चल जाता, तब तक ये हेलीकॉप्टर ग्राउंडेड ही रहेंगे।
ALH ध्रुव, हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा निर्मित एक स्वदेशी हेलीकॉप्टर है और इसे सेना, नौसेना, वायुसेना और कोस्ट गार्ड के कई अभियानों में इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि हाल के वर्षों में इस हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाओं में शामिल रहने के कारण यह लगातार विवादों में बना हुआ है।
सैन्य अभियानों में बढ़ी चुनौतियांThe Times of India की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में कुल 330 ALH ध्रुव हेलीकॉप्टर हैं, जिनमें से सभी अभी उड़ान से बाहर हैं। इनकी अनुपलब्धता के कारण भारतीय सशस्त्र बलों के कई अभियान प्रभावित हो रहे हैं। सेना विशेष रूप से सहायक उड़ानों और सीमावर्ती इलाकों में मिशनों के लिए इन हेलीकॉप्टरों पर निर्भर करती है—चाहे वह चीन-पाकिस्तान सीमा हो या आपदा राहत और रेस्क्यू मिशन।
सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि लंबे समय से उड़ान न भर पाने के कारण ALH पायलट अपनी दक्षता खो रहे हैं और उन्हें केवल सिम्युलेटर के भरोसे ट्रेनिंग लेनी पड़ रही है।
दुर्घटनाओं का लंबा इतिहासALH ध्रुव का निर्माण HAL द्वारा 1979 में शुरू हुआ था और इसे 2002 में आधिकारिक रूप से सेना में शामिल किया गया। इस हेलीकॉप्टर की विशेषता यह है कि यह पांच टन वजन का मल्टी रोल विमान है, जिसमें दो पायलटों के साथ 12 यात्री बैठ सकते हैं। यह 290 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भर सकता है।
भारतीय वायुसेना के पास 75, नौसेना के पास 24 और कोस्ट गार्ड के पास 19 ALH हेलीकॉप्टर हैं। बीते 25 वर्षों में इस मॉडल के कई हेलीकॉप्टर हादसों का शिकार हो चुके हैं, जिससे इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगे हैं।
महत्वपूर्ण राहत अभियानों में निभाई भूमिकाALH ध्रुव को देश में आई कई बड़ी आपदाओं में इस्तेमाल किया गया है, जैसे बाढ़ राहत, भूकंप बचाव अभियान, और अन्य प्राकृतिक आपदाओं में राहत पहुंचाने के कार्य में इसकी अहम भूमिका रही है। लेकिन फिलहाल इन हेलीकॉप्टरों की उड़ान पर रोक से देश की 11.5 लाख की मजबूत सेना को गंभीर रणनीतिक और लॉजिस्टिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
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