Correct Way of Breathing: नाक या मुंह से सांस लेने की प्रक्रिया स्वाभाविक है. हर कोई नाक और मुंह से सांस लेता है. मगर फिर भी इन दोनों जगहों से सांस लेने की प्रक्रिया से फेफड़ों पर अलग अलग प्रभाव पड़ सकता है. कई लोगों को इस बात की जानकारी नहीं होगी, मगर प्रत्येक व्यक्ति दिन में 22 से 25 हजार बार सांस लेता है. इस पर फोकस तब जाता है जब आपकी नाक बंद हो या मुंह में किसी प्रकार की दिक्कत हो रही हो. आज हम जानेंगे कि नाक और मुंह से सांस लेने पर हमारे फेफड़ों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
कई लोग नाक से सांस लेते हैं, तो वहीं कुछ लोगों को मुंह से सांस लेने की भी आदत होती है. हालांकि, सामान्य तौर पर या रेस्टिंग मोड पर होने से आप नाक से ही सांस लेते हैं. किसी फिजिकल एक्टिविटी या भाग-दौड़ वाली जगह पर मुंह से सांस लेने लगते हैं. कई बार नाक बंद होने पर भी मुंह से सांस लेना पड़ता है.
डॉक्टरों के मुताबिक, वातावरण की हवा ठंडी और ड्राई होती है. नाक के जरिए हवा पास होने पर हवा में थोड़ी गर्माहट आती है, जिसकी मदद से फेफड़े ज्यादा प्रभावित नहीं होते हैं. इसके अलावा नाक से जाते हुए हवा में कमी आ जाती है, जो फेफड़ों के लिए बेस्ट है. इसके अलावा नाक से सांस लेने पर हवा फिल्टर होकर फेफड़ों तक पहुंचती हैं. इसी कारण से नाक में म्यूकस जमा होता है. यह नाक में मौजूद रोएं के कारण होता है.
कुछ लोगों को नाक और मुंह दोनों से सांस लेने की आदत होती है. इन लोगों के फेफड़ों पर मुंह से जाने वाली ड्राई और ठंडी हवा सीधा फेफड़ों तक पहुंचती है, जो कि किसी भी तरह से फेफड़ों के लिए ठीक नहीं है. इसीलिए विशेषज्ञ मुंह से सांस लेने को खराब मानते हैं. क्योंकि इससे आपके शरीर में थकान ज्यादा होती है.
नोट: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है. इसे केवल सुझाव के तौर पर लें. इस तरह की किसी भी जानकारी पर अमल करने से पहले डॉक्टर या किसी विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें. (Photo Credit- Pinterest)