नौकरी बदलने पर ITR फाइल करते समय ध्यान देने योग्य महत्वपूर्ण बातें
newzfatafat April 30, 2025 04:42 PM
नौकरी बदलने के बाद ITR फाइलिंग के लिए आवश्यक सुझाव

आजकल करियर में उन्नति, बेहतर अवसरों और उच्च वेतन की खोज में लोग हर साल अपनी नौकरी बदल रहे हैं। यह विशेष रूप से कॉरपोरेट क्षेत्र में आम हो गया है, जहां एक वित्तीय वर्ष में दो या उससे अधिक नौकरियों में काम करना सामान्य बात है। हालांकि, यह पेशेवर जीवन के लिए फायदेमंद हो सकता है, लेकिन आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करते समय यह कई बार सिरदर्द का कारण बन सकता है।

यदि आपने भी एक ही वित्तीय वर्ष में नौकरी बदली है, तो ITR दाखिल करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। थोड़ी सी लापरवाही से आपको आयकर विभाग से नोटिस मिल सकता है या आपको जुर्माना भी भरना पड़ सकता है। इसलिए नीचे दिए गए महत्वपूर्ण बिंदुओं को समझना और उनका पालन करना फायदेमंद होगा।

1. प्रत्येक कंपनी से फॉर्म 16 प्राप्त करें

यदि आपने साल भर में दो या अधिक कंपनियों में काम किया है, तो आपको हर एक नियोक्ता से अलग-अलग फॉर्म 16 लेना चाहिए।
फॉर्म 16 एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जिसमें आपकी सैलरी, टैक्स कटौती (TDS), हाउस रेंट अलाउंस, प्रोविडेंट फंड, और अन्य टैक्सेबल/नॉन-टैक्सेबल आय की जानकारी होती है। यह ITR दाखिल करते समय आपकी आय की सही जानकारी देने में मदद करता है। कई लोग नई कंपनी से फॉर्म 16 लेकर पुरानी कंपनी को भूल जाते हैं, जो बाद में समस्याएं पैदा कर सकता है।

2. पुरानी और नई नौकरी की आय को सही तरीके से जोड़ें

कई लोग नई नौकरी से मिली आय को तो ITR में जोड़ते हैं, लेकिन पुरानी नौकरी की सैलरी की जानकारी देना भूल जाते हैं।
आयकर विभाग के पास फॉर्म 26AS और AIS जैसी सुविधाएं हैं, जिनसे उन्हें आपकी पूरी आय और TDS की जानकारी मिल जाती है। यदि आपने अपनी पूरी सैलरी रिपोर्ट नहीं की है, तो आपकी आय में मिसमैच हो सकता है और विभाग की तरफ से नोटिस आ सकता है।
इसलिए यह आवश्यक है कि आप पुरानी और नई दोनों नौकरियों से मिली सैलरी को जोड़कर सही आय घोषित करें।

3. एक ही कटौती को दो बार क्लेम करने से बचें

नौकरी बदलते समय लोग अक्सर एक बड़ी गलती कर देते हैं—वो है एक ही कटौती जैसे कि PPF, EPF, लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम या मेडिकल इंश्योरेंस को दो बार क्लेम करना।
हो सकता है कि आपने पुरानी कंपनी में पहले ही कुछ टैक्स कटौती क्लेम कर लिए हों और नई कंपनी में वही कटौती दोबारा दिखा दी हो। इससे ITR दाखिल करने में दिक्कत आ सकती है और यह टैक्स चोरी माना जा सकता है।
आपको चाहिए कि साल भर के सभी कटौतियों को एक बार समेकित रूप से जोड़ें और उसी आधार पर ITR में क्लेम करें।

4. फॉर्म 26AS और AIS से टैक्स क्रेडिट जरूर मिलाएं

फॉर्म 26AS में आपकी सैलरी से कटे हुए TDS की जानकारी होती है, जिसे आपके PAN नंबर से लिंक किया जाता है। इसी तरह AIS (Annual Information Statement) में भी आपकी आय और टैक्स की डिटेल्स होती हैं।
ITR भरते समय यह दोनों दस्तावेज चेक करना आवश्यक है ताकि आप यह सुनिश्चित कर सकें कि आपका TDS सही तरीके से जमा हुआ है और आप उसका टैक्स क्रेडिट ले सकें। यदि आपने नौकरी बदलते समय ग्रेच्युटी या लीव एनकैशमेंट जैसी राशि ली है, तो उसका टैक्सेशन नियम समझकर ही ITR में उसकी जानकारी दें।

5. ग्रेच्युटी और लीव एनकैशमेंट की सही टैक्स जानकारी दें

यदि आपने किसी एक कंपनी में 5 साल या उससे अधिक काम किया है और फिर नौकरी छोड़ी है, तो आपको ग्रेच्युटी मिल सकती है। 20 लाख रुपये तक की ग्रेच्युटी टैक्स फ्री होती है। इसके अलावा यदि आपने लीव एनकैशमेंट लिया है, तो वह भी एक निश्चित सीमा तक टैक्स फ्री हो सकता है।
इन दोनों राशियों को सही टैक्स कैलकुलेशन के साथ ITR में शामिल करें, ताकि बाद में आयकर विभाग की तरफ से कोई सवाल न उठे।

निष्कर्ष:

नौकरी बदलना आज के पेशेवर माहौल में सामान्य हो गया है, लेकिन टैक्स नियमों को नजरअंदाज करना नुकसानदेह हो सकता है। यदि आप ITR दाखिल करते समय ऊपर बताए गए सभी बिंदुओं का ध्यान रखेंगे, तो टैक्स भरना आसान होगा और आपको किसी नोटिस या पेनल्टी की चिंता नहीं करनी पड़ेगी।


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