News India Live, Digital Desk: दुनियाभर में कंपनियों के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर्स (सीईओ) और सामान्य कर्मचारियों के वेतन के बीच अंतर चिंताजनक स्तर पर पहुंच गया है। ऑक्सफैम की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर सीईओ के वेतन में साल 2019 के मुकाबले लगभग 50 प्रतिशत की वास्तविक वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि कर्मचारियों का औसत वेतन इस अवधि में सिर्फ 0.9 प्रतिशत बढ़ा है।
रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019 में सीईओ का औसत वार्षिक वेतन 29 लाख डॉलर था, जो अब लगभग 50 प्रतिशत बढ़ चुका है। वहीं, कर्मचारियों के वेतन में नगण्य वृद्धि हुई है, जिससे वेतन असमानता का स्तर अब बेहद चिंताजनक हो गया है।
भारत में भी स्थिति अलग नहीं है, जहां कंपनियों के सीईओ का औसत वार्षिक वेतन 2024 तक करीब 20 लाख डॉलर तक पहुंच चुका है। ऑक्सफैम इंटरनेशनल के कार्यकारी निदेशक अमिताभ बेहर के अनुसार, “यह असमानता कोई दुर्घटना नहीं, बल्कि एक ऐसी प्रणाली का परिणाम है जो धन का प्रवाह ऊपर की ओर सुनिश्चित करती है, जबकि मेहनतकश लोग आजीविका के लिए संघर्ष कर रहे हैं।”
आयरलैंड और जर्मनी जैसे देशों में भी यह असमानता चरम पर है, जहां सीईओ का औसत वेतन क्रमशः 67 लाख डॉलर और 47 लाख डॉलर के आस-पास पहुंच चुका है।
जीवन-यापन की बढ़ती लागत और बढ़ती महंगाई से कर्मचारियों का वेतन तालमेल नहीं बिठा पा रहा है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के अनुसार, 2024 में वैश्विक वास्तविक वेतन में मात्र 2.7 प्रतिशत वृद्धि हुई है, जबकि कई देशों में यह वेतन स्थिर रहा है।
रिपोर्ट में महिला-पुरुष वेतन असमानता का मुद्दा भी प्रमुखता से उठाया गया है। हालांकि इसमें मामूली सुधार हुआ है, लेकिन वैश्विक स्तर पर यह अंतर अब भी 22 प्रतिशत बना हुआ है, जो काफी चिंताजनक है।
ऑक्सफैम ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सीमा शुल्क नीतियों के प्रभावों पर भी चिंता जताई है। रिपोर्ट का कहना है कि इन नीतियों के चलते वैश्विक स्तर पर नौकरी छूटने और जरूरी सामानों की कीमत बढ़ने का खतरा है, जिससे वेतन असमानता और अधिक बढ़ सकती है।
यह अध्ययन सरकारों और वैश्विक नेताओं से तत्काल कार्रवाई करने और इस गंभीर समस्या का समाधान निकालने का आह्वान करता है।