रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर अपनी पोस्ट में कहा, आज से ठीक दो साल पहले मणिपुर में हिंसा की शुरुआत हुई थी। फरवरी 2022 में विधानसभा चुनावों में राज्य की जनता ने भाजपा और उसके सहयोगियों को निर्णायक जनादेश दिया था, जिसके बाद यह आपदा उन पर हावी हो गई। 3 मई 2023 को जो शुरू हुआ, वह राज्य में तथाकथित डबल इंजन सरकार का पटरी से उतरना था। इसके 3 महीने बाद उच्चतम न्यायालय को यह कहने के लिए मजबूर होना पड़ा कि राज्य में संवैधानिक तंत्र पूरी तरह से नष्ट हो गया है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रधानमंत्री मणिपुर से लगातार बचते रहे हैं। उन्होंने राज्य के किसी भी व्यक्ति से मुलाकात नहीं की। वह पूरी दुनिया में घूम चुके हैं लेकिन उन्हें संकटग्रस्त राज्य का दौरा करने और वहां के लोगों तक पहुंचने के लिए न तो समय मिला, न ही उनका इस ओर झुकाव है और न ही संवेदनशीलता।
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को मणिपुर का प्रबंधन ‘आउटसोर्स’ किया है, लेकिन वह पूरी तरह असफल साबित हुए हैं। मणिपुर बेहतर स्थिति का हकदार है। मणिपुर के लोग अब भी इंतजार कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री इंफाल पहुंचें और इस खूबसूरत राज्य का दौरा कर लोगों के जख्मों पर मरहम लगाएं।
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