पाकिस्तान, एक मुस्लिम राष्ट्र होने के नाते, क्रिकेट में गैर-मुस्लिम खिलाड़ियों के साथ भेदभाव का सामना करता रहा है। इसका एक प्रमुख उदाहरण दानिश कनेरिया हैं, जिन्हें उनकी हिंदू पहचान के कारण पाकिस्तान क्रिकेट टीम में भेदभाव का सामना करना पड़ा।
दानिश कनेरिया ने इस भेदभाव का खुलासा किया है। कुल मिलाकर, 7 गैर-मुस्लिम क्रिकेटर्स ने पाकिस्तान के लिए खेला है। आइए उन खिलाड़ियों पर एक नज़र डालते हैं जिन्होंने मुसलमान नहीं होते हुए भी पाकिस्तान के लिए क्रिकेट खेला।
दानिश कनेरिया पाकिस्तान क्रिकेट टीम के लिए खेलने वाले अंतिम गैर-मुस्लिम खिलाड़ी थे। उन्होंने 2000 में अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की और 61 टेस्ट मैचों में 261 विकेट लिए। हालांकि, मैच फिक्सिंग के आरोपों के कारण उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया।
यूसुफ योहाना, जो एक ईसाई थे, ने 1998 में पाकिस्तान क्रिकेट टीम में शामिल होकर 90 टेस्ट मैच खेले। 2004 में उन्होंने इस्लाम अपनाया और अपना नाम बदलकर मोहम्मद यूसुफ रख लिया।
अनिल दलपत सोनवारिया, जो दानिश कनेरिया के चचेरे भाई हैं, पाकिस्तान क्रिकेट टीम के पहले हिंदू खिलाड़ी थे। उन्होंने 1984 में अपने करियर की शुरुआत की और केवल 9 टेस्ट मैच खेले।
अंटाओ डिसूज़ा ने 1959 में पाकिस्तान के लिए क्रिकेट खेलना शुरू किया। उन्होंने केवल 6 टेस्ट मैच खेले और 17 विकेट लिए। उनका जन्म गोवा में हुआ था, लेकिन विभाजन के बाद उनके पिता पाकिस्तान में बस गए।
डंकन शार्प ने 1959 में पाकिस्तान के लिए खेलना शुरू किया, लेकिन वह केवल दो टेस्ट मैच ही खेल सके। उन्होंने 134 रन बनाए और उनकी औसत 22.33 रही।
वालिस मैथियास ने 1974 में पाकिस्तान के लिए पदार्पण किया और 21 टेस्ट मैचों में 783 रन बनाए। वह पाकिस्तान के लिए क्रिकेट खेलने वाले पहले गैर-मुस्लिम खिलाड़ी थे।
सोहेल फ़ज़ल ने पाकिस्तान के लिए दो एकदिवसीय मैच खेले। 1989-90 चैंपियंस ट्रॉफी में उन्होंने तीन छक्के लगाकर टीम को जीत दिलाई।