फंगल इंफेक्शन-Fungal Infection एक आम लेकिन गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है, खासकर गर्मी और बारिश के मौसम में। शरीर में पसीना, गंदगी या नमी की वजह से जब त्वचा में खुजली, लाल चकत्ते, जलन या छाले जैसे लक्षण दिखने लगते हैं, तो समझ लीजिए कि फंगल इंफेक्शन ने दस्तक दे दी है। यह दाद, खाज, खुजली, एथलीट फुट जैसे रूपों में दिखाई देता है और अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए, तो यह तेजी से शरीर के अन्य हिस्सों में फैल सकता है।
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फंगल इंफेक्शन के शुरुआती लक्षण दिखाई देने पर सबसे जरूरी है कि तुरंत इलाज शुरू किया जाए। सबसे पहले डॉक्टर द्वारा सुझाई गई एंटीफंगल क्रीम जैसे क्लोट्रिमाज़ोल या टर्बिनाफाइन का उपयोग करना चाहिए। दिन में दो बार इसका उपयोग करने से संक्रमण की तीव्रता कम होती है और यह दोबारा लौटने से भी बचाता है। यदि पाउडर का विकल्प इस्तेमाल किया जाए तो वह भी नमी को कम कर त्वचा को राहत देता है।
फंगल इंफेक्शन का मुख्य कारण शरीर में नमी का बढ़ना होता है। इस वजह से संक्रमित क्षेत्र को नियमित रूप से साबुन और पानी से धोकर सुखाना चाहिए। विशेष रूप से शरीर के ऐसे हिस्से जहां पसीना अधिक आता है, जैसे बगल, कमर, जांघों के बीच या उंगलियों के बीच — इन जगहों पर सफाई और सूखापन बनाए रखना बेहद जरूरी है। संक्रमण को खुरचने या खुजलाने से बचें, वरना यह शरीर के अन्य हिस्सों तक फैल सकता है।
फंगल इंफेक्शन संक्रामक हो सकता है, इसलिए अपनी व्यक्तिगत चीजें जैसे तौलिया, मोजे, कपड़े या बिस्तर किसी के साथ साझा न करें। संक्रमित व्यक्ति की वस्तुओं को अच्छी तरह से धोना चाहिए और उन्हें अलग रखना चाहिए। यहां तक कि नेल क्लिपर और जूते जैसे सामान भी सिर्फ खुद के उपयोग के लिए रखने चाहिए। इससे संक्रमण को घर के अन्य सदस्यों में फैलने से रोका जा सकता है।
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फंगल इंफेक्शन को रोकने में ढीले और सांस लेने वाले कपड़े पहनना एक कारगर तरीका है। कॉटन जैसे कपड़े शरीर की नमी को सोख लेते हैं और त्वचा को सूखा रखते हैं। इसके विपरीत सिंथेटिक फैब्रिक त्वचा को बंद कर देता है, जिससे नमी फंस जाती है और फंगल इंफेक्शन तेजी से फैलता है। ऐसे में टाइट कपड़ों से परहेज करना चाहिए और ढीले आरामदायक कपड़े पहनने चाहिए।
यदि फंगल इंफेक्शन 1 से 2 हफ्तों में ठीक नहीं होता है, तो डॉक्टर से परामर्श जरूर लेना चाहिए। खासतौर पर अगर संक्रमण तेज़ी से फैल रहा हो, दर्द हो रहा हो या बुखार के लक्षण दिख रहे हों तो इसे नज़रअंदाज़ करना खतरनाक हो सकता है। कई बार डॉक्टर मौखिक एंटीफंगल दवाएं लिखते हैं जो अंदर से संक्रमण को खत्म करती हैं।
कुछ लोग घरेलू उपायों की मदद भी लेते हैं, जैसे नीम की पत्तियों का पेस्ट, सेब के सिरके का पतला घोल या हल्दी का लेप। हालांकि इन उपायों का प्रयोग करते समय सावधानी बरतना जरूरी है, क्योंकि हर किसी की त्वचा की संवेदनशीलता अलग होती है। इसलिए अगर घरेलू उपायों से फायदा न दिखे तो तुरंत चिकित्सा विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए।
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