सिर्फ 75 परिवारों के इस गाँव के हर घर में हैं एक IAS या IPS अफ़सर! बेहद ही खास है ये गांव ˠ
Himachali Khabar Hindi May 09, 2025 11:42 AM

उत्तर-प्रदेश में एक ऐसा गांव है। जहां पर जन्म लेने वाले अधिकतर लोग आईएएस अधिकारी हैं। जिसकी वजह से इस गांव को अफ़सरों वाला गांव कहा जाता है। इस गांव के लगभग हर घर में आपको एक न एक अधिकारी मिल जाएगी। ये गांव राज्य के जौनपुर जिले में है और इसका नाम माधोपट्टी गांव है।

कहा जाता है कि इस गांव में जो व्यक्ति जन्म लेते है। उसका भविष्य पहले ही तय कर दिया जाता है और वो बड़ा होकर प्रशासनिक अधिकारी ही बनता है। जानकारी के अनुसार माधोपट्टी गाँव में 75 घर मौजूद हैं और हर घर से कोई न कोई व्यक्ति आईएएस अधिकारी जरूर बना है। अब तक इस गांव से 47 आईएएस अधिकारी बन चुके हैं। जो कि उत्तर प्रदेश समेत दूसरे राज्यों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

साल 1914 में इस गांव का पहला व्यक्ति पीसीएस के लिए चयनित हुआ था। इस व्यक्ति का नाम मुस्तफा हुसैन था। जो कि जाने-माने शायर वामिक़ जौनपुरी के पिता थे। पीसीएस में चयनित होने के बाद इन्होंने लंबे समय तक अपनी सेवा अंग्रेजी हकुमत को दी थी। वहीं इनके बाद इन्दू प्रकाश सिंह का चयन आईएएस के लिए हुआ था। जो कि साल 1952 में आईएएस बने थे। इनकी रैंक 13वीं आई थी। इन्दू प्रकाश सिंह फ्रांस सहित कई देशों में भारत के राजदूत भी रहे हैं।

इन्दू प्रकाश के चयन के बाद से इस गांव के लोगों का आईएएस-पीसीएस अधिकारी बनने का सफर शुरू हुई। आपको जानकर हैरानी होगी कि इंदू प्रकाश के बाद गांव के ही चार सगे भाइयों ने आईएएस बनकर रिकॉर्ड कायम किया था।

इस गांव से नाता रखने वाले विनय सिंह तो बिहार के प्रमुख सचिव भी बनें थे। इन्होंने वर्ष 1955 में परीक्षा को पास किया था। वहीं साल 1964 में इनके दो सगे भाई छत्रपाल सिंह और अजय सिंह ने भी ये परीक्षा दी और इस परीक्षा को पास कर लिया। जिसके साथ ही ये दोनों भाई आईएएस के लिए चुने गए।

महिलाएं भी हैं आगे

इस गांव की महिलाएं भी किसी से कम नहीं है। साल 1980 में इस गांव से नाता रखने वाली ऊषा सिंह आईपीएस अधिकारी बनने वाली पहली महिला है। इसके अलावा कुवंर चंद्रमौल सिंह साल 1983 में, इनकी पत्नी इन्दू सिंह 1983 में, अमिताभ 1994 में आईपीएएस बने।

इस गांव के बच्चे अन्य क्षेत्रों से भी जुड़े हुए हैं। अमित पांडेय केवल 22 वर्ष के हैं और इन्होंने कई किताबें प्रकाशित की है। इस गांव के अन्मजेय सिंह विश्व बैंक मनीला में है। ये खबर आप हिमाचली खबर में पढ़ रहे हैं। । डॉक्टर नीरू सिंह और लालेन्द्र प्रताप सिंह वैज्ञानिक के रूप में भाभा इंस्टीट्यूट में। ज्ञानू मिश्रा राष्ट्रीय अंतरिक्ष संस्थान, इसरो में सेवाएं दे रहे हैं।

इस वजह से बनते हैं अधिकारी

अफसरों वाले गांव के नाम से प्रसिद्ध इस गांव के लोग केवल अधिकारी बनने का ही सपना देखते हैं। माधोपट्टी के डॉ. सजल सिंह के अनुसार “ब्रिटिश हुकूमत में मुर्तजा हुसैन के कमिश्नर बनने के बाद गांव के युवाओं को प्रेरणास्त्रोत मिल गया। उन्होंने गांव में जो शिक्षा की अलख जगाई, वह आज पूरे देश में नजर आती है।” सजल सिंह के अनुसार हमारे गांव में एजुकेशन लेवल बहुत ही अच्छा है। यहां हर घर में एक से अधिक लोग ग्रेजुएट हैं। महिलाएं भी पीछे नहीं हैं। गांव का औसतन लिटरेसी रेट 95% है, जबकि यूपी का औसतन लिटरेसी रेट 69.72% है।

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