हरे कृष्णा पिक्चर्स के बैनर तले बनी इस सोशल ड्रामा फिल्म के प्रोड्यूसर रोहित माखिजा, मनीष गोपलानी, नेहा पाण्डेय, सोनू रणदीप चौधरी हैं जबकि सह निर्माता अजय राठौर, अरविंद डागुर, यतिन राठौर हैं। शंभू महाजन ने ओमलो की मुख्य भूमिका निभाई है। सोनू रणदीप चौधरी ने सुभाष का रोल, सोनाली शर्मिष्ठा ने सावित्री का रोल, देवा शर्मा ने रामू का चरित्र, महेश जिलोवा ने मग्नाराम की भूमिका निभाई है।
कहानी एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक डर और दर्द के लगातार चक्र पर रोशनी डालती है, जिसका खामियाजा अक्सर महिलाओं को भुगतना पड़ता है। ओमलो की दादी को उम्मीद थी कि उसका बेटा उसके लिए एक शांतिपूर्ण जीवन लाएगा। हालांकि, वह अपने पिता से भी बदतर साबित होता है, जो दुख के चक्र को जारी रखता है जिसका असर अब उसकी बहू और पोते पर पड़ता है। फिर भी, निराशा के बीच, आशा की एक किरण मौजूद है क्योंकि ओमलो की मां चाहती है कि उसका बेटा इस चक्र को तोड़ दे और एक बेहतर इंसान बने। कहानी इस बारे में सवाल उठाती है कि क्या वास्तव में बदलाव संभव है?
फिल्म के लेखक निर्देशक सोनू रणदीप चौधरी का कहना है, जहां लोग, संस्कृति, जगह ने मेरी फ़िल्म मेकिंग शैली और कहानी कहने के तरीके पर एक अमिट छाप छोड़ी है। मेरी प्रेरणा का सार यह अहसास है कि जहां राजनीति और विश्व शांति जैसे वैश्विक मुद्दों पर अक्सर महत्वपूर्ण ध्यान दिया जाता है, वहीं घरेलू स्तर पर संघर्ष अक्सर अनदेखा रह जाता है।
'ओमलो' सोनू रणदीप चौधरी की बतौर निर्देशक और लेखक पहली फिल्म है लेकिन कहानियों को चित्रित करने की उनमे रुचि बचपन से ही रही है। 15 साल से अधिक उन्होंने थिएटर में अपना समय बिताया, इस दौरान उन्होंने अपनी कला को निखारा। राजस्थान के एक छोटे से शहर के मूल निवासी, सोनू रणदीप चौधरी ने हमेशा ख्वाबों के शहर मुम्बई को अपनी मंजिल माना। अपने जुनून को कम उम्र में ही पहचानते हुए, उन्होंने खुद को इस कला में महारत हासिल करने के लिए समर्पित कर दिया।