वर्तमान में, माइक्रोप्लास्टिक का खतरा हर जगह बढ़ता जा रहा है। ये छोटे प्लास्टिक कण मानव ऊतकों, चट्टानों और यहां तक कि बोतलबंद पानी में भी पाए जाते हैं। हाल ही में एक अध्ययन में यह सामने आया है कि प्लास्टिक से बने टी-बैग्स हर मिलीलीटर पानी में अरबों माइक्रोप्लास्टिक और नैनोप्लास्टिक कण छोड़ते हैं। गर्म पानी के संपर्क में आने पर ये कण तेजी से घुलकर हमारी सेहत पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। ये कण आंतों की कोशिकाओं को प्रभावित कर सकते हैं।
विशेषज्ञों का सुझाव है कि लूज चाय पत्तियों का उपयोग करना अधिक स्वास्थ्यवर्धक है। यह न केवल सेहत के लिए बेहतर है, बल्कि चाय का स्वाद भी बेहतर होता है। टी-बैग्स से निकलने वाले प्लास्टिक कण मानव स्वास्थ्य के लिए कई तरह से हानिकारक हो सकते हैं। शोध में यह पाया गया है कि ये कण आंतों की कोशिकाओं तक पहुंच सकते हैं, जिससे आंतों की बलगम कोशिकाएं प्रभावित होती हैं। इसके अलावा, टी-बैग्स में मौजूद स्टेपल पिन और कैफीन भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
टी-बैग्स से बचने के लिए लूज चाय का उपयोग करें और इसे उबालकर पिएं। ग्रीन टी, ब्लैक टी और हर्बल टी जैसे विकल्प बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं। यह न केवल स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है, बल्कि प्लास्टिक प्रदूषण को भी कम करने में मदद कर सकता है। टी-बैग्स से जुड़े ये तथ्य हमें सतर्क रहने का संदेश देते हैं। अब समय आ गया है कि हम अपने चाय पीने के तरीके में बदलाव करें और स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण की भी रक्षा करें।