Indo-Pak Border Alert: जैसलमेर और बाड़मेर क्यों हैं सबसे ज्यादा प्रभावित? जानें किन सुरक्षा पाबंदियों में जी रहे हैं बॉर्डर के गांव
aapkarajasthan May 12, 2025 05:42 PM

भारत-पाकिस्तान के बीच भले ही सीजफायर हो चुका हो, लेकिन राजस्थान के सीमावर्ती इलाके में सरहद पर हलचल बदस्तूर जारी है। सीजफायर के बाद भी भारत-पाक सीमा से सटे बाड़मेर और जैसलमेर में लगातार ड्रोन उड़ रहे हैं। लगातार हो रही ड्रोन की आहट को देखते हुए रविवार को भी दोनों जिलों में पूरी रात ब्लैकआउट रखा गया। सीमावर्ती इलाके में सायरन की आवाजें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। बाजार जरूर खुल रहे हैं, लेकिन कब इन्हें बंद करना पड़ जाए, यह नहीं कहा जा सकता। दरअसल, पश्चिमी राजस्थान में करीब 1070 किलोमीटर लंबी भारत-पाक सीमा है। इस सीमा क्षेत्र से राजस्थान के चार जिले सीधे जुड़े हुए हैं। इनमें जैसलमेर, बाड़मेर, श्रीगंगानगर और बीकानेर जिला शामिल है। बाड़मेर और जैसलमेर से जोधपुर जुड़ा हुआ है। जब भी भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव होता है, तो यह इलाका काफी प्रभावित होता है। इसकी वजह इस इलाके का सामरिक महत्व है।

रणनीतिक महत्व का इलाका है पश्चिमी राजस्थान
पश्चिमी राजस्थान में भारतीय सेना, वायुसेना और बीएसएफ का बड़ा बेड़ा है। जोधपुर, जैसलमेर और बाड़मेर वायुसेना के बड़े स्टेशन हैं। यहां सेना के लड़ाकू विमानों की मौजूदगी और तैनाती है। पश्चिमी राजस्थान में इस लंबी सीमा की सुरक्षा का जिम्मा सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के पास है। बाड़मेर और जैसलमेर शहरों की सीमा से दूरी बहुत ज्यादा नहीं है। पाकिस्तानी घुसपैठिए इस सीमा का इस्तेमाल भारत में घुसपैठ के लिए करते हैं।

इस सीमावर्ती क्षेत्र में घुसपैठ की कोशिशें होती रहती हैं
हालांकि सीमा की सुरक्षा करने वाली बीएसएफ पाकिस्तानी घुसपैठियों की हर कोशिश को नाकाम कर देती है, लेकिन फिर भी वे ऐसा करने से बाज नहीं आते। सीमावर्ती क्षेत्र में आए दिन पाकिस्तानी जासूस पकड़े जाते हैं। इस क्षेत्र में पाकिस्तानी जासूसों की संभावना इसलिए भी बढ़ जाती है क्योंकि दोनों जिलों के लोगों के कई रिश्तेदार पाकिस्तान में हैं। इस वजह से जैसलमेर और बाड़मेर से पाकिस्तान आने-जाने वालों की संख्या काफी ज्यादा है।

सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों के पाकिस्तान में रिश्तेदार हैं
बाड़मेर के मुकाबले जैसलमेर जिले के लोगों के सीमा पार पाकिस्तान में ज्यादा रिश्तेदार हैं। यहां से पाकिस्तान जाने वाले लोग अक्सर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के संपर्क में आते हैं। वे उनका ब्रेनवॉश करते हैं और जासूसी के लिए पैसों का लालच देते हैं। इसका ताजा उदाहरण हाल ही में पकड़ा गया पाकिस्तानी जासूस पठान खान है। वह रिश्तेदारों से मिलने के बहाने तीन बार पाकिस्तान गया और वहां से भारतीय जासूस बनकर लौटा। पठान खान जैसलमेर के मोहनगढ़ का रहने वाला है।

बीकानेर जिला भी है सॉफ्ट टारगेट
पाकिस्तान से यहां आने वाले लोग भी सीमावर्ती क्षेत्र में भारतीय सैन्य बलों की जासूसी करने का मौका नहीं छोड़ते। सीमावर्ती क्षेत्र का बीकानेर जिला भी पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी का सॉफ्ट टारगेट है। वे सीमा से जुड़े बीकानेर के खाजूवाला क्षेत्र के लोगों से सोशल मीडिया के जरिए संपर्क कर उन्हें अपने जाल में फंसाने की कोशिश करते हैं। इसका कई बार खुलासा भी हो चुका है। श्रीगंगानगर राजस्थान का नहरी क्षेत्र है। यहां के लोगों के खेत सीमा से जुड़े हैं।

लगातार ब्लैकआउट रहता है
भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम के बाद भी यहां के हालात ज्यादा नहीं बदले हैं। यहां अभी भी अक्सर पाकिस्तानी ड्रोन के मंडराने की खबरें आती रहती हैं। इसलिए बाड़मेर और जैसलमेर में अन्य इलाकों के मुकाबले ज्यादा सतर्कता बरती जा रही है। हालात को देखते हुए रोजाना तय किया जाता है कि ब्लैकआउट होगा या नहीं। प्रशासन ने दोनों जिलों के लोगों से अपील की है कि वे बेवजह घरों से बाहर न निकलें। रात में लाइट का इस्तेमाल न करें। कोई भी संदिग्ध गतिविधि या चीज दिखे तो प्रशासन को सूचित करें। सतर्क रहें। सरकारी निर्देशों का पूरी तरह पालन करें।

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