हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंक की हटली शाखा (जिला चंबा) में एक चौंकाने वाली साइबर ठगी का मामला सामने आया है। अज्ञात साइबर अपराधियों ने बैंक का सर्वर हैक कर महज दो दिनों के भीतर एक खाते से कुल 11.55 करोड़ रुपये उड़ा लिए। यह पूरी घटना बैंक की छुट्टियों के दौरान अंजाम दी गई, जब बैंक सामान्यतः बंद रहता है और किसी भी प्रकार का लेन-देन नहीं होता।
यह हैरान कर देने वाली घटना 11 और 12 मई 2025 की है। 11 मई को रविवार का अवकाश था, जबकि 12 मई को बुध पूर्णिमा के अवसर पर सार्वजनिक अवकाश घोषित था। इन दोनों ही दिनों बैंक बंद था, बावजूद इसके साइबर ठगों ने आरटीजीएस और एनईएफटी जैसे माध्यमों से बड़ी राशि को विभिन्न खातों में ट्रांसफर कर दिया।
बैंक को जब इन असामान्य लेन-देन की भनक लगी तो तत्काल आंतरिक जांच की गई और फिर शिमला साइबर सेल को इस संबंध में सूचित किया गया। बैंक के मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारी द्वारा शिमला के सदर थाने में एक विस्तृत लिखित शिकायत दर्ज कराई गई। इसमें कहा गया है कि बैंक सर्वर को हैक करके इस गंभीर साइबर अपराध को अंजाम दिया गया है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
शिकायत को ‘जीरो एफआईआर’ के तहत दर्ज कर राज्य साइबर सेल को जांच सौंप दी गई है। शिमला के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नवदीप सिंह ने इस घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि प्रारंभिक जांच में यह एक उच्च स्तरीय साइबर धोखाधड़ी प्रतीत हो रही है और इसमें तकनीकी पहलुओं की गहनता से जांच की जा रही है।
बैंक द्वारा उपलब्ध कराए गए इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजैक्शन डेटा और अन्य दस्तावेजों की तकनीकी जांच की जा रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि भारी-भरकम रकम किन-किन खातों में और कहां-कहां ट्रांसफर की गई। डीआईजी साइबर क्राइम मोहित चावला ने जानकारी दी कि साइबर सेल की टीमें पूरे मामले की बारीकी से जांच में जुटी हुई हैं।
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नोडल एजेंसी सीईआरटी-इन (CERT-In) की एक विशेष टीम को भी जांच में शामिल किया गया है। यह टीम शनिवार को शिमला पहुंच रही है और राज्य साइबर सेल के साथ मिलकर डिजिटल फॉरेंसिक विश्लेषण करेगी, ताकि हैकिंग के पीछे का पूरा तंत्र उजागर किया जा सके।
हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंक के प्रबंध निदेशक श्रवण मांटा ने बताया कि यह ठगी बैंक के सर्वर पर संगठित साइबर हमला करके की गई है। हालांकि उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि बैंक के ग्राहकों की जमा राशि पूरी तरह सुरक्षित है। उन्होंने बताया कि ट्रांसफर की गई अधिकांश रकम को ट्रेस कर उसे होल्ड कर लिया गया है। इसके अलावा, बैंक साइबर बीमा योजना के अंतर्गत आता है जिससे संभावित नुकसान की भरपाई की जा सकेगी। उन्होंने यह भी बताया कि बैंक जल्द ही साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए इन्फोसिस के अत्याधुनिक फिनेकल-10 सॉफ्टवेयर पर शिफ्ट होने की प्रक्रिया में है।
यह पहली बार नहीं है जब हिमाचल प्रदेश में इतने बड़े स्तर पर साइबर अपराध हुआ है। राज्य में साइबर ठगी के मामलों में तेज़ी से वृद्धि हो रही है, जिससे अब न सिर्फ आम लोग बल्कि सरकारी और निजी संस्थाएं भी प्रभावित हो रही हैं।
साइबर सेल द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले एक वर्ष में हिमाचल प्रदेश में कुल 114 करोड़ रुपये की ऑनलाइन धोखाधड़ी हो चुकी है। चिंता की बात यह है कि हर तीन में से एक व्यक्ति किसी न किसी रूप में साइबर अपराधियों का शिकार बन चुका है।