भारत के प्रमुख विश्वविद्यालयों ने भी तुर्की के साथ अपने संबंध समाप्त कर दिए हैं। आईआईटी बॉम्बे, जेएनयू, और जामिया मिलिया इस्लामिया जैसे संस्थानों ने तुर्की के साथ सभी प्रकार के संबंध तोड़ दिए हैं। इसके साथ ही, निजी विश्वविद्यालयों जैसे मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय और चंडीगढ़ विश्वविद्यालय ने भी इसी दिशा में कदम उठाया है।
व्यापारी और उपभोक्ता तुर्की से आने वाले फलों का बहिष्कार कर रहे हैं। एक ग्राहक ने कहा, "हम उस देश का समर्थन नहीं कर सकते जो हमारे खिलाफ खड़ा है।" व्यापारियों का मानना है कि आम जनता के इस कदम को देखते हुए उन्हें भी तुर्की उत्पादों का बहिष्कार करना चाहिए।
एक रिपोर्ट के अनुसार, मिंत्रा और एजियो जैसे प्लेटफार्मों ने तुर्की के ब्रांडों के कपड़े बेचना बंद कर दिया है। मिंत्रा पर तुर्की आधारित ब्रांड ट्रेंडयोल के उत्पाद अब उपलब्ध नहीं हैं।
इसके अलावा, अखिल भारतीय उपभोक्ता उत्पाद वितरक संघ ने तुर्की के कई उत्पादों के बहिष्कार का आह्वान किया है, जिसमें चॉकलेट, वेफर्स, जैम, सिरप, चाय, कॉफी, कुकीज़, और डिब्बाबंद मिठाइयाँ शामिल हैं।
मेकमाईट्रिप के प्रवक्ता ने बताया कि तुर्की और अजरबैजान के लिए उड़ान बुकिंग में 60 प्रतिशत की कमी आई है, जिससे यात्रा रद्दीकरण की संख्या भी बढ़ी है।
15 मई को, नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो ने सेलेबी की सुरक्षा मंजूरी रद्द कर दी, जिससे तुर्की को पहला बड़ा झटका लगा। इसके बाद, एयर इंडिया ने तुर्की एयरलाइंस के साथ पट्टा समझौते को रोकने का अनुरोध किया है।