पीरियड्स हर महिला के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है. इस दौरान महिलाओं को कई समस्याएं झेलनी पड़ती हैं. यह एक बॉयोलॉजिकल प्रोसेस है. इस दौरान शरीर में हार्मोनल चेंजेज होते हैं. पीरियड्स हमारी सेहत से जुड़े कई राज खोलते हैं. कुछ लोगों पीरियड्स के दौरान हैवी ब्लीडिंग होती है तो कुछ लोगों के पीरियड्स का फ्लो हल्का होता है.
एक एवरेज पीरियड साइकिल 28 से 30 दिनों की होती है. हालांकि ये 21 से 35 दिनों में कभी भी हो सकता है और ये 2 से 7 दिनों तक चल सकता है. कई लड़कियों का पीरियड साइकिल 21 दिनों का होता है. पीरियड की अवधि सेक्स हार्मोन और अन्य अंतःस्रावी हार्मोन जैसे थायराइड, प्रोलैक्टिन और इंसुलिन पर भी निर्भर करती है.
पीरियड्स के दौरान फ्लो बदलता रहता है. सबसे अधिक फ्लो पीरियड्स के दूसरे दिन होता है. वहीं कभी कभी तीसरे दिन भी फ्लो बढ़ा रहता है.
उम्र के पड़ावों के अनुसार पीरियड्स का फ्लो बलदता रहता है. 20 से 30 के बीच की उम्र महिलाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण होती है. इस अवधि में यौन क्रिया, संतानोत्पत्ति और महिलाओं की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं शुरू हो सकती हैं. गर्भ निरोधकों, आपातकालीन गोलियों, या इंजेक्शन जैसे चीजों का प्रयोग अनियमित अवधि या कम अवधि के फ्लो का कारण बनती हैं. इतना ही नहीं, गर्भाशय पॉलीप्स, फाइब्रॉएड, या पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) जैसी विशिष्ट बीमारियों के कारण भी पीरियड फ्लो बदल सकता है. वहीं ब्रेस्ट फीडिंग के चलते पीरियड्स मिस हो सकते हैं.
इस आयु वर्ग में महिलाओं के शरीर में कई बदलाव होते हैं, जिसके चलते फ्लो में भी चेंजेस होने लगते हैं. इसके चलते पीरियड्स साइकिल में गड़बड़ होने लगती है. 30 साल की उम्र के बाद पीरियड साइकिल छोटी होनी लगती है. कई बार पीरियड्स स्किप भी हो जाते हैं, जिसकी वजह से पीसीओएस (PCOS)की परेशानी होने लगती है.
इस उम्र में एक वर्ष में एक या दो पीरियड्स का छूटना आम बात है. इस उम्र में पीरियड्स का फ्लो भी कम होने लगता है. ये 2 या 3 दिनों तक रहता है. 45 साल की उम्र से पेरीमेनोपॉज़ शुरू हो जाता है. इन सब परिस्थितियों में ओव्यूलेट नहीं करना यानी एनोव्यूलेशन हैवी पीरियड होने का कारण बन सकता है. मेनोपॉज की औसत उम्र 50-51 साल होती है इस दौरान पीरियड्स पूरी तरह बंद हो जाते हैं.
वैसे तो पीरियड्स का सही फ्लो बताना थोड़ा मुश्किल है, लेकिन हेल्थ एक्पर्ट्स की मानें तो नॉर्मल ब्लड फ्लो तकरीबन 60 मिलीमीटर का होता है. पूरी साइकल में लगभग 60 ग्राम खून आपके शरीर से पीरियड के दौरान निकलता है. हालांकि ये कम ज्यादा हो सकता है.