शिक्षा विभाग को अपनी खिल्ली उड़ाने में बड़ा मजा आता है। ऐसा ही कुछ बिहार में देखने को मिला। हाल ही में जिला शिक्षा विभाग ने मृत शिक्षकों से अटेंडेंस नहीं बनने को लेकर जवाब मांगा था। लेकिन इस बार तो हद्द ही कर दी। इस बार शिक्षा विभाग ने मृत शिक्षक को प्रमोशन दे डाला।
शिक्षक को शैक्षणिक प्रमाण पत्र की जांच करने के लिए विभाग ने गुरुवार को दोपहर 2:00 बजे सारे कागजात के साथ बुलाया। इस बात से तो ऐसा ही लग रहा है कि अब मृत शिक्षक को शायद सीधा स्वर्ग से ही विभाग दफ्तर पहुंचना होगा। और वो भी सभी कागजात लेकर।
दरअसल बुधवार देर शाम जिला शिक्षा विभाग के जिला स्थापना शाखा ने एक सूची जारी करी। ये लिस्ट स्नातक प्रशिक्षित वेतनमान में प्रोन्नति के लिए 20 शिक्षकों की थी। इन्हें अपने शैक्षणिक प्रमाण पत्र की जांच करवानी है। इसके लिए गुरुवार को सभी शिक्षकों को मूल सेवा पुस्तिका, साहित्यालंकार प्रवेश पत्र, अंक पत्र, मूल प्रमाण पत्र एवं योग्यता वर्धन के लिए विभागीय अनुमति पत्र लेकर कार्यालय में आना के लिए कहा गया था।
इन सभी शिक्षकों का साहित्यालंकार की उपाधि हिंदी विद्यापीठ देवघर द्वारा जारी किया गया है। ऐसे में इसमें शाहकुंड प्रखंड के मध्य विद्यालय शिवशंकरपुर के शिक्षक मनोज कुमार झा का भी नाम शामिल है। बता दें कि मनोज कुमार का 22 मार्च को ही निधन हो गया था।
वो कैंसर से जूझ रहे थे। इस बात की पुष्टि स्कूल के प्रधानाध्यापक ने की है। खबरों की माने तो हाल ही में सहायक शिक्षक मनोज कुमार झा के निधन के बाद भी उनकी परीक्षा ड्यूटी में भी नाम दिया गया था।
तो वहीं आपको बता दें कि भागलपुर जिले में शिक्षा विभाग के कुछ ऐसे ही कारनामे सामने आए थे। 21 मार्च को जिलेभर में उपस्थिति नहीं दर्ज कराने वाले 1388 शिक्षकों को नोटिस भेजा गया था। लेकिन इस लिस्ट में कई ऐसे नाम भी शामिल थे जो या तो सेवानिवृत्त हो चुके हैं या जिनका निधन हो चुका है।
इसी लिस्ट में कहलगांव प्रखंड की शिक्षिका उषा कुमारी का भी नाम था। जिनका निधन 5 फरवरी 2024 को हो गया था। बावजूद इसके 8 मई को स्कूल देरी से आने को लेकर उनसे भी स्पष्टीकरण मांग लिया गया। जब मामला सामने आया तो खुद प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी विभाग पहुंचकर उनका नाम ई-पोर्टल से हटवाने पहुंचे।
इससे पहले भी जब ये मामला बड़ा तो जिला शिक्षा पदाधिकारी ने सभी बीईओ से कहा था कि एक हफ्ते के भीतर उन शिक्षकों की लिस्ट दें जो अब इस सेवा में नहीं हैं। चाहे रिटायर्ड हों या मर गए हो। इसके बाद करीब 400 से ज्यादा नामों को पोर्टल से हटाया भी गया था।
फिलहाल किसी शिक्षक को प्रोन्नति नहीं दी गई है। बल्कि केवल आवेदन के आधार पर दस्तावेजों की जांच चल रही है। डीपीओ स्थापना देवनारायण पंडित ने कहा कि अगर जांच में फिर ऐसे नाम पाए जाते हैं। तो उन्हें सूची से हटा दिया जाएगा।