मशहूर टीवी एक्ट्रेस दीपिका कक्कड़ इन दिनों अपने जीवन के बुरे दौर से गुज़र रही हैं. उन्हें स्टेज 2 मैलिग्नेंट लिवर ट्यूमर है, जिसका मतलब है कि उन्हें लिवर कैंसर है. दीपिका के पति शोएब इब्राहिम ने इस बारे में जानकारी दी है.
दीपिका कक्कड़ ने भी अपने प्रशंसकों के साथ अपनी सेहत के बारे में अपडेट साझा करने के लिए इंस्टाग्राम का सहारा लिया है. उन्होंने उन मुश्किल हफ्तों के बारे में बताया जिनसे वे गुज़र रही हैं.
दीपिका ने , "जैसा कि आप सब जानते हैं कि पिछले कुछ हफ़्ते हमारे लिए मुश्किल रहे हैं. पेट के ऊपरी हिस्से में तेज दर्द के साथ अस्पताल जाना, फिर लिवर में टेनिस बॉल के साइज का ट्यूमर पता चलना और उसके बाद ये पता चलना कि ये सेकेंड स्टेज कैंसर है – ये हमारे लिए सबसे मुश्किल समय रहा."
"मैं पूरी हिम्मत और पॉजिटिव सोच के साथ इसका सामना कर रही हूं. इंशाल्लाह, हम इससे निकल जाएंगे. मेरा परिवार मेरे साथ है और आप सबका प्यार और दुआएं मुझे ताकत दे रही हैं. दुआओं में याद रखना!"
दीपिका कक्कड़ भारतीय टेलीविजन का जाना-माना चेहरा हैं. उन्हें धारावाहिक 'ससुराल सिमर का' से पहचान मिली और वह फ़िल्म 'पलटन' में भी नजर आईं. इसके अलावा वह बिग बॉस सीजन 12 की विजेता भी हैं.
आइए जानते हैं कि लिवर कैंसर क्या होता है, इसके क्या लक्षण हैं और ये कितना ख़तरनाक हो सकता है.
लिवर यानी जिगर मानव शरीर के सबसे जटिल अंगों में से एक है, जो 500 से अधिक शारीरिक कार्यों के लिए जिम्मेदार होता है. इन कार्यों में वसा और प्रोटीन का पाचन, विषाक्त पदार्थों को हटाना, पित्त का स्राव करना, और खून को गाढ़ा करना शामिल है. कैंसर, लिवर को अपना काम ठीक से करने से रोक सकता है और इसकी क्रियाओं में बाधा डाल सकता है.
प्राइमरी लिवर कैंसर: यह एक ख़तरनाक ट्यूमर है जो लिवर में शुरू होता है. पर दी गई जानकारी के अनुसार , प्राइमरी लिवर कैंसर के कई प्रकार हैं:
सेकेंडरी लिवर कैंसर: सेकेंडरी लिवर कैंसर शरीर के किसी अन्य भाग में शुरू होता है लेकिन फिर लिवर तक फैल जाता है.
ऑस्ट्रेलिया कैंसर काउंसिल की वेबसाइट के अनुसार, अनुमान है कि 2024 में तीन हज़ार 208 लोगों में लिवर कैंसर पाया गया और उनकी औसत आयु 69 वर्ष थी.
लिवर कैंसर के लक्षण आमतौर पर अस्पष्ट बताए जाते हैं और यह लक्षण तब तक सामने नहीं आते जब तक कि कैंसर एडवांस स्टेज तक नहीं पहुंच जाता है.
पर प्रकाशित जानकारी के अनुसार, लिवर कैंसर के ये लक्षण हो सकते हैं:
कैंसर काउंसिल की वेबसाइट के अनुसार, हेपेटाइटिस बी या सी वायरस जो लंबे समय तक संक्रमण का कारण बनते हैं, वे लिवर कैंसर का कारण बन सकते हैं.
लिवर कैंसर का जोखिम बढ़ाने वाली वजहें:
कैंसर को रोकने का सबसे अच्छा तरीका उन चीजों पर ध्यान फ़ोकस करना है जो कैंसर होने से बचाती हैं. कोई भी चीज़ जो कैंसर होने की आशंका को बढ़ाती है उसे रिस्क फ़ैक्टर कहा जाता है. जो भी चीज़ कैंसर होने की आशंका को कम करती है उसे कैंसर प्रोटेक्टिव फ़ैक्टर कहा जाता है.
कैंसर को रोकने के लिए रिस्क फ़ैक्टर से बचना और कैंसर प्रोटेक्टिव फ़ैक्टर को बढ़ाना महत्वपूर्ण है.
इन तरीक़ों से लिवर कैंसर से बचा सकता है:
हेपेटाइटिस बी से बचाव के लिए टीका लगवाना: यह देखा गया है कि नवजात शिशुओं को यह टीका लगवाने से उनमें लिवर कैंसर का ख़तरा कम करने में मदद मिलती है. हालांकि, अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हुई है कि टीकाकरण से वयस्कों में जोख़िम कम होता है या नहीं.
क्रोनिक हेपेटाइटिस बी संक्रमण के लिए इलाज करना: क्रोनिक हेपेटाइटिस बी संक्रमण वाले लोगों के लिए मौजूद विकल्पों में इंटरफेरॉन और न्यूक्लियोस (टी)आईडी एनालॉग थेरेपी शामिल हैं. इन उपचारों से लिवर कैंसर होने का ख़तरा कम हो सकता है.
एफ़्लाटॉक्सिन बी1 को कम करना: एफ़्लाटॉक्सिन बी1 की अधिकता वाले खाद्य पदार्थों की जगह पर एफ़्लाटॉक्सिन बी1 के निम्न स्तर वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करने से कैंसर का ख़तरा कम हो सकता है.
अमेरिकी राष्ट्रीय कैंसर संस्थान की वेबसाइट के अनुसार , लिवर कैंसर से पीड़ित लोगों के लिए कई प्रकार के इलाज मौजूद हैं. कुछ इलाज मानक हैं (जो वर्तमान में प्रयोग किए जा रहे हैं) और कुछ का क्लिनिकल ट्रायल किया जा रहा है.
1. मॉनिटरिंग
स्क्रीनिंग के दौरान पाए गए एक सेंटीमीटर से छोटे घावों की मॉनिटरिंग की जाती है. हर 3 महीने में फ़ॉलो-अप ज़रूरी है. इस दौरान कोई इलाज नहीं किया जाता बल्कि यह देखा जाता है कि हालत में कोई बदलाव तो नहीं आया है, यानी हालत पहले से ख़राब तो नहीं हुई है. स्थिति में बदलाव होने के बाद ही इलाज शुरू होता है.
2. सर्जरी
आंशिक सर्जरी में, लिवर के उस भाग को हटा दिया जाता है जहां कैंसर पाया जाता है. क्योंकि लिवर हमारे शरीर का एक ऐसा अंग है जो फिर से बन सकता है. यह फिर से विकसित हो सकता है और अपना काम जारी रख सकता है.
3. लिवर ट्रांसप्लांट
यकृत ट्रांसप्लांट में पूरे लिवर को निकाल दिया जाता है तथा डोनेट किए गए स्वस्थ लिवर को लगाया जाता है. लेकिन ऐसा तभी हो सकता है जब कैंसर केवल लिवर तक फैला हो और अन्य अंगों तक न पहुंचा हो. इसके अलावा, किसी दूसरे व्यक्ति का लिवर मिलना भी आसान नहीं है.
4. एब्लेशन थेरेपी
एब्लेशन थेरेपी कैंसरग्रस्त हिस्से को हटा देती है या नष्ट कर देती है. लिवर कैंसर के लिए अलग-अलग तरह की एब्लेशन थेरेपी का उपयोग किया जाता है.
5. एम्बोलिज़ेशन थेरेपी
इस थेरेपी का उपयोग उन लोगों के लिए किया जाता है जो ट्यूमर के लिए सर्जरी या एब्लेशन थेरेपी नहीं करवा सकते हैं और जिनका ट्यूमर लिवर से आगे नहीं फैला है. इसमें ट्यूमर में रक्त प्रवाह को रोकना या कम करना शामिल है. जब ट्यूमर को पर्याप्त ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं मिलते, तो उसकी बढ़ने की क्षमता कम हो जाती है.
6. टारगेटेड थेरेपी
टारगेटेड थेरेपी एक प्रकार का उपचार है जिसमें विशिष्ट कैंसर कोशिकाओं की पहचान करने और उन पर हमला करने के लिए दवाओं या अन्य पदार्थों का उपयोग किया जाता है.
7. इम्यूनोथेरेपी
इम्यूनोथेरेपी एक ऐसा उपचार है जिसमें कैंसर से लड़ने के लिए व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली का उपयोग किया जाता है. प्रतिरक्षा प्रणाली को शरीर से बने या प्रयोगशाला में बने पदार्थों का उपयोग करके मज़बूत किया जाता है.
8. रेडिएशन थेरेपी
रेडिएशन थेरेपी शरीर के कैंसरग्रस्त भाग में हाई एनर्जी वाले एक्स-रे या दूसरे प्रकार रेडिएशन भेजती है. यह प्रक्रिया कई बार दोहराई जाती है.
हालांकि, लिवर कैंसर का इलाज किस हद तक संभव है, यह काफ़ी हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि कैंसर किस स्टेज में है और किस अंग तक कहां तक फैला है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित