ईरान ने परमाणु ईंधन चक्र का समापन किया, खामेनेई ने दी जानकारी
newzfatafat June 05, 2025 12:42 AM
ईरान के परमाणु कार्यक्रम की नई उपलब्धि

ईरान के सर्वोच्च नेता आयतोल्लाह अली खामेनेई ने हाल ही में देश के परमाणु ईंधन चक्र के पूर्ण समापन की घोषणा की है। उन्होंने बताया कि ईरान अब खनन से लेकर परमाणु ऊर्जा संयंत्र तक की प्रक्रिया को पूरी तरह से अपने नियंत्रण में ले चुका है। यह महत्वपूर्ण घोषणा इस्लामिक गणराज्य के संस्थापक आयतोल्लाह खोमैनी की 36वीं पुण्यतिथि के अवसर पर की गई।


खामेनेई ने अमेरिका की उस मांग को पूरी तरह से खारिज कर दिया, जिसमें ईरान से अपने परमाणु समृद्धि कार्यक्रम को रोकने की अपील की गई थी। उनका कहना था कि यह प्रक्रिया ईरान के परमाणु कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे रोकना अस्वीकार्य है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अमेरिका ईरान के परमाणु कार्यों के खिलाफ कुछ भी करने में असमर्थ है।


परमाणु वार्ता और अमेरिकी दबाव


हाल के महीनों में तेहरान और वाशिंगटन के बीच ओमान की मध्यस्थता में पांच दौर की अप्रत्यक्ष परमाणु वार्ता हुई है। हालांकि, दोनों पक्षों ने कुछ प्रगति की बात की है, लेकिन अभी तक कोई निर्णायक समझौता नहीं हो पाया है। अमेरिका की मांग है कि ईरान अपने यूरेनियम समृद्धि कार्यक्रम को पूरी तरह समाप्त करे, जिसे ईरानी अधिकारी 'गैर-परामर्शी' मानते हैं।


इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्पष्ट किया है कि उनकी सरकार यूरेनियम समृद्धि को स्वीकार नहीं करेगी। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, अमेरिका ने एक प्रस्ताव दिया है जिसमें ईरान को सीमित मात्रा में यूरेनियम समृद्धि की अनुमति दी जा सकती है, लेकिन यह प्रस्ताव अभी तक गुप्त रखा गया है।


राष्ट्रीय स्वतंत्रता और रक्षा क्षमता पर जोर


खामेनेई ने कहा कि राष्ट्रीय स्वतंत्रता का अर्थ है कि किसी भी निर्णय के लिए अमेरिका के 'हरा या लाल' संकेत का इंतजार नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने ईरान के परमाणु उद्योग को 'आधारभूत उद्योग' बताया और कहा कि देश के वैज्ञानिकों की मेहनत से ईरान ने पूरी परमाणु ईंधन चक्र स्थापित कर लिया है।


साथ ही, उन्होंने देश की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने की बात भी की, जिसे उन्होंने राष्ट्रीय स्वतंत्रता का एक और स्तंभ बताया।


क्षेत्रीय तनाव और इस्लामी देशों के लिए संदेश


खामेनेई ने गाजा में इजरायल के हमले को 'चौंकाने वाला' बताया और अमेरिका को इसमें 'सहयोगी' करार दिया। उन्होंने मुस्लिम देशों से आग्रह किया कि वे इस्राइल से अपने संबंध तोड़ लें, क्योंकि उनका कहना था कि इस्राइल का शासन 'ध्वस्त होने की प्रक्रिया में है।'


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