यूपीआई से लेनदेन पर लगेगी एक्स्ट्रा फीस, UPI से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव UPI transaction fee – अभी पढ़ें ये खबर
Rahul Mishra (CEO) June 12, 2025 11:25 PM

UPI लेनदेन शुल्क: भारत सरकार यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) को लेकर एक बड़ा फैसला लेने की तैयारी में है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार 3000 रुपये से अधिक के UPI लेनदेन पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) लागू करने पर विचार कर रही है. अभी तक देश में Zero MDR Policy लागू है, जिसके कारण व्यापारियों से कोई शुल्क नहीं लिया जाता.

क्या होता है MDR और अब क्यों हो रही है इसकी वापसी की चर्चा?

MDR वह शुल्क है जो बैंक या पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर व्यापारियों से वसूलते हैं जब ग्राहक डिजिटल पेमेंट करता है. फिलहाल UPI पर शून्य MDR नीति लागू है, यानी व्यापारी से कोई फीस नहीं ली जाती है.

अब सरकार इस नीति को बड़े लेनदेन के मामलों में बदलने पर विचार कर रही है ताकि बैंकों और पेमेंट कंपनियों के बढ़ते खर्चों को नियंत्रित किया जा सके.

कम ट्रांजेक्शन पर मिल सकती है राहत

NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, कम राशि वाले UPI भुगतान पर छूट बरकरार रह सकती है. यानी 3000 रुपये से कम के ट्रांजेक्शन पर कोई शुल्क नहीं लगेगा. लेकिन इससे ऊपर के लेनदेन पर MDR शुल्क लागू करने की संभावना है.

यह निर्णय जनवरी 2020 से लागू Zero MDR Policy को आंशिक रूप से समाप्त कर सकता है.

प्रधानमंत्री कार्यालय में हुई अहम बैठक

सूत्रों के मुताबिक हाल ही में प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO), आर्थिक मामलों के विभाग और वित्तीय सेवा विभाग के बीच इस मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण बैठक हुई थी. इस बैठक में UPI ट्रांजेक्शन पर MDR शुल्क लगाने को लेकर विस्तृत चर्चा हुई.

  • UPI की लोकप्रियता और बैंकों पर बढ़ता बोझ
  • आज UPI भारत में सबसे लोकप्रिय डिजिटल पेमेंट माध्यम बन गया है.
  • मई 2025 में UPI लेनदेन 25.14 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचे.
  • इस दौरान कुल लेनदेन 18.68 अरब रहे, जो पिछले साल मई की तुलना में 33% अधिक हैं.

मई 2024 में यह आंकड़ा 20.45 लाख करोड़ रुपये था.

UPI अब 80% से अधिक रिटेल डिजिटल ट्रांजेक्शन को कवर करता है. ऐसे में बैंकों और पेमेंट कंपनियों की ऑपरेशनल कॉस्ट काफी बढ़ चुकी है. इस वजह से Zero MDR नीति पर पुनर्विचार किया जा रहा है.

PCI का प्रस्ताव क्या कहता है?

पेमेंट्स काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) ने सरकार को सुझाव दिया है कि बड़े मर्चेंट्स (जिनका टर्नओवर अधिक है) पर 0.3% MDR लगाया जाए.

वर्तमान में:

  • क्रेडिट और डेबिट कार्ड पर MDR 0.9% से 2% तक होता है
  • RuPay डेबिट कार्ड पर कोई MDR नहीं है
  • UPI पर कोई MDR लागू नहीं होने की वजह से पेमेंट गेटवे और बैंक इस माध्यम से राजस्व नहीं कमा पा रहे हैं.

कब तक आ सकता है अंतिम फैसला?

सूत्रों की मानें तो अगले 1-2 महीने में इस प्रस्ताव पर अंतिम फैसला लिया जा सकता है. लेकिन यह निर्णय तभी लिया जाएगा जब बैंक, पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर और नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) जैसी सभी एजेंसियों की सहमति मिल जाएगी.

UPI पर शुल्क का असर आम उपभोक्ता पर क्या होगा?

अगर यह प्रस्ताव लागू हो जाता है तो आम तौर पर 3000 रुपये से ज्यादा के लेनदेन पर शुल्क का बोझ व्यापारी पर पड़ेगा. हालांकि, कुछ स्थितियों में यह शुल्क ग्राहक पर ट्रांसफर भी किया जा सकता है. इससे डिजिटल ट्रांजेक्शन का प्रोत्साहन प्रभावित हो सकता है.

सरकार किस बात का रख रही है ध्यान?

सरकार का उद्देश्य है कि:

  • छोटे दुकानदार और कम लेनदेन करने वाले उपभोक्ता इससे प्रभावित न हों
  • केवल बड़े भुगतान और बड़े व्यापारी ही इसके दायरे में आएं
  • डिजिटल इंडिया अभियान की गति पर असर न पड़े

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