क्या गणपति बप्पा ने बचाई भूमि चौहान की जान? जानिए इस चमत्कारी घटना के बारे में
newzfatafat June 14, 2025 08:42 AM
निर्णायक पल: जीवन और मृत्यु के बीच की रेखा

कभी-कभी जीवन में ऐसे क्षण आते हैं जो हमारे अस्तित्व को बदल देते हैं। लंदन की निवासी भूमि चौहान के साथ भी ऐसा ही हुआ, जब वह दो साल बाद अपने परिवार से मिलने भारत आईं। उन्हें एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 से लंदन लौटना था, लेकिन ट्रैफिक में फंसने के कारण वह अपनी उड़ान चूक गईं, जिससे वह एक भयानक दुर्घटना से बच गईं।


गणपति बप्पा की कृपा गणपति बप्पा ने मुझे बचा लिया

भूमि ने भरूच में अपने परिवार के घर के बाहर खड़े होकर कहा, "मैं भगवान की आभारी हूं, मेरे गणपति बप्पा ने मेरी जान बचाई।" उन्होंने बताया कि वह समय पर एयरपोर्ट पहुंचीं, लेकिन उनके पास बोर्डिंग पास की प्रिंटेड कॉपी नहीं थी, जिसके कारण उन्हें विमान में चढ़ने की अनुमति नहीं मिली। "मैं 1:30 बजे एयरपोर्ट से निकली और फ्लाइट 1:38 बजे उड़ गई। कुछ ही मिनटों बाद वह दुर्घटना का शिकार हो गई।"


भयानक हादसा हादसा जो कभी नहीं भूल पाएंगी

AI-171, जो लंदन के गैटविक एयरपोर्ट के लिए उड़ान भर रही थी, टेकऑफ के बाद 625 फीट की ऊंचाई पर असंतुलित होकर एक रिहायशी क्षेत्र में गिर गई। इस दुर्घटना में आग लग गई और 241 लोगों की जान चली गई, जिनमें यात्री, चालक दल और जमीन पर मौजूद लोग शामिल थे। भूमि ने कहा, "ये मैं भी हो सकती थी। मेरा दिल टूट गया है, मैं उन्हें कभी नहीं भूल पाऊंगी।"


एकमात्र जीवित बचे यात्री एकमात्र जीवित बचे यात्री की हालत गंभीर

इस हादसे के एकमात्र जीवित बचे व्यक्ति, 40 वर्षीय ब्रिटिश नागरिक विश्वाश कुमार रमेश, विमान की 11A सीट पर बैठे थे। उन्हें अहमदाबाद के असारवा सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई है।


राष्ट्रीय शोक गहरा राष्ट्रीय शोक

सरकार ने इस घटना को भारत की सबसे भीषण विमान दुर्घटनाओं में से एक करार दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे "शब्दों से परे हृदय विदारक" बताया और मृतकों के परिवारों को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है। विमान की कमान कैप्टन सुमित सभरवाल और फर्स्ट ऑफिसर क्लाइव कुंदर के हाथ में थी। इस दुर्घटना में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपानी भी मारे गए।

भूमि अब सामान्य जीवन में लौटने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन उनके मन में एक अजीब सा अपराधबोध है। "कई बार सोचती हूं कि क्यों बच गई मैं? लेकिन मैं उन 241 लोगों की याद हमेशा ज़िंदा रखूंगी।"


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