हरियाणा औद्योगिक नीति: हरियाणा सरकार ने औद्योगिक विकास की दिशा में एक मजबूत और दूरदर्शी पहल की है. सरकार का उद्देश्य है कि हरियाणा को भारत का प्रमुख मैन्युफैक्चरिंग हब बनाया जाए ताकि वर्ष 2047 तक ‘विकसित भारत’ के राष्ट्रीय लक्ष्य में राज्य की सक्रिय भूमिका सुनिश्चित हो सके.
भारत सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के अनुरूप, हरियाणा ने ‘मेक इन हरियाणा’ मिशन की शुरुआत की है. यह मिशन हरियाणा को वैश्विक डिजाइन और मैन्युफैक्चरिंग सेंटर के रूप में स्थापित करने की दिशा में कार्य कर रहा है. इसके तहत उद्योग-अनुकूल नीतियां, बड़े निवेश और सरल नियामक प्रक्रियाएं लागू की जा रही हैं.
राज्य के मुख्यमंत्री खुद उद्योगपतियों से मिलकर उनकी समस्याओं को समझने और समाधान देने में जुटे हैं. बजट से पहले भी उन्होंने और उनके प्रमुख सचिव ने राज्यभर के MSME और बड़े उद्योगों के साथ पूर्व-बजट परामर्श किए, जिससे उनके सुझावों को बजट में समाविष्ट किया जा सके.
उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के बजट में 129% की वृद्धि कर इसे ₹1,848.12 करोड़ कर दिया गया है. इसके साथ ही नई औद्योगिक नीति लाने की घोषणा की गई है, जो घरेलू और विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए बेहतर प्रोत्साहन और सरल प्रक्रियाएं प्रदान करेगी.
नई औद्योगिक नीति की प्रमुख बातें
नई नीति हरियाणा एंटरप्राइजेज एंड एम्प्लॉयमेंट पॉलिसी-2020 की नींव पर आधारित होगी जो 2025 तक लागू है. इसमें MSME से लेकर मेगा उद्योगों तक को विभिन्न योजनाओं के माध्यम से प्रोत्साहन दिया गया है. अब इस नीति को और अधिक समावेशी और निवेशक-अनुकूल बनाया जाएगा.
राज्य सरकार ई-वेस्ट मैनेजमेंट, फार्मास्यूटिकल्स, मेडिकल डिवाइसेस, एनीमेशन, गेमिंग, आईटी/आईटीईएस जैसे क्षेत्रों के लिए नई सेक्टोरल नीतियां बना रही है. ये नीतियां हरियाणा को वैश्विक निवेश का पसंदीदा गंतव्य बनाएंगी और युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करेंगी.
सरकार आईएमटी खरखौदा की तर्ज पर 10 नए स्मार्ट इंडस्ट्रियल टाउनशिप विकसित करेगी. ये टाउनशिप AI, ऑटोमेशन और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर से युक्त होंगी, जहां रीयल टाइम मॉनिटरिंग, डेटा एनालिटिक्स और प्लग-एंड-प्ले सुविधाएं उपलब्ध होंगी. इससे निर्माण दक्षता बढ़ेगी और डाउनटाइम घटेगा.
सरकार अपनी भूमि पूलिंग और साझेदारी नीति में भी सुधार कर रही है, जिससे भूमि मालिकों को समान लाभ मिल सके. इससे भविष्य के औद्योगिक पार्कों के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को सरल और न्यायसंगत बनाया जा सकेगा.
सरकार ने 300 ‘अटल किसान मजदूर कैंटीन’ शुरू करने की योजना बनाई है ताकि सस्ता और पोषणयुक्त भोजन उपलब्ध हो सके. इसके अलावा, राई, बावल और मानेसर जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में डॉर्मिटरी और सिंगल रूम यूनिट्स के निर्माण का प्रावधान किया गया है.
हरियाणा सरकार हर औद्योगिक क्षेत्र में इन्क्यूबेशन सेंटर स्थापित करेगी, जहां स्टार्टअप्स और युवा उद्यमियों को मेंटॉरशिप, फंडिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर की सुविधा मिलेगी. इससे राज्य में नवाचार और उद्यमिता को नया बल मिलेगा.
उद्योग एवं वाणिज्य विभाग की कमान अब अमित अग्रवाल को सौंपी गई है. उनकी नियुक्ति औद्योगिक विकास को गति देने और राज्य की महत्वाकांक्षी योजनाओं को सफलता पूर्वक लागू करने के उद्देश्य से की गई है.
हरियाणा सरकार के ये संवेदनशील, समावेशी और तकनीक-संचालित कदम राज्य को न सिर्फ एक राष्ट्रीय मैन्युफैक्चरिंग हब बनाएंगे, बल्कि वैश्विक मंच पर भी हरियाणा को पहचान दिलाएंगे. ‘मेक इन हरियाणा’ अब सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि 2047 के विकसित भारत की नींव बन रहा है.