भूल जाएंगे FASTag, इस देश का टोल सिस्टम दुनिया में सबसे फास्ट और हाइटेक, ऐसे करता है काम
Tv9 Hindi June 19, 2025 02:42 PM

केंद्र सरकार निजी वाहनों के लिए फास्टैग बेस्ड एनुअल पास जारी करेगी. इसकी कीमत 3 हजार रुपए सालाना होगी. पास की मदद से निजी वाहनों के मालिक एक साल में ज्यादा से ज्यादा 200 बार टोल से गुजर सकेंगे. पैसों की बचत के साथ यात्रा परेशानी मुक्त होगी. इसकी शुरुआत 15 अगस्त, 2025 से होगी. इस पास का इस्तेमाल गैर-व्यवसायिक वाहनों के लिए किया जा सकेगा.

यह तो हुई भारत की बात, दुनिया के कई देश ऐसे हैं जो अपने खास तरह के टोल सिस्टम के लिए जाने जाते हैं, लेकिन एक देश ऐसा भी है जो अपने फास्ट टोल सिस्टम के लिए जाना जाता है. यानी वहां न तो टोल नाके की लाइन में लगना पड़ता है और न ही गाड़ी की स्पीड धीमी करनी पड़ती है.

इस देश में सबसे फास्ट टोल सिस्टम

नॉर्वे के टोल सिस्टम को दुनिया का सबसे तेज और सबसे एडवांस्ड माना जाता है. आमतौर पर टोल टैक्स के लिए गाड़ी की स्पीड बाधित होती है. समय लगता है. कई बार तकनीकी समस्या होने के कारण देरी का सामना करना पड़ता है, लेकिन नॉर्वे में ऐसा कुछ भी नहीं होता.

खास बात है कि यहां टाेल नाके भी नहीं होते. यह काम कैमरा करते हैं. टोल टैक्स कैसे भरा जाता है, अब इसे समझ लेते हैं. यहां ऑटोमेटेड नम्बर प्लेट रिकग्निशन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है. गाड़ी की रफ्तार कितनी भी तेज क्यों न हो, कैमरा नम्बर प्लेट को ट्रैक कर लेता है और टैक्स कट जाता है. वाहन मालिक से कितना चार्ज लिया गया, इसकी जानकारी उसके अकाउंट में भेज दी जाती है. इस पूरे सिस्टम को ऑटोपास नाम दिया गया है.

1991 में हुई थी शुरुआत

नॉर्वे में इस सबसे तेज टोल सिस्टम की शुरुआत 1991 में हुई थी. टोल सिस्टम को हाईटेक और फास्ट बनाने में नॉर्वे को वर्ल्ड लीडर कहा जाता है. इसकी सबसे बड़ी खूबी रही है टेक फ्रेंडली सिस्टम और गाड़ी की स्पीड को धीमे किए बना टोल टैक्स का कट जाना.

नॉर्वे में इसकी शुरुआत के बाद दूसरे देशों ने भी इस सिस्टम को अपनाया. इससे मिलता जुलता टोल सिस्टम सिंगापुर में लगाया गया. यहां भी टैक्स को वसूलने का काम कैमरा और सेंसर ने किया. साउथ कोरिया ने भी फास्ट टोल सिस्टम का दावा किया, लेकिन नॉर्वे जितना फास्ट और जीरो स्टॉप टोल सिस्टम नहीं विकसित हुआ. वहीं, जापान का टोल सिस्टम टेक फ्रेंडली है. अमेरिका में स्पीड की लिमिट तय की गई है.

इस देश में सालाना टोल टैक्स का सिस्टम

स्विटजरलैंड में एनुअल टोल सिस्टम है. साल में एक बार चार्ज देना पड़ता है. इसके बाद न तो कहीं पर रुकने का झंझट है और न ही कोई टोल बूथ हैं. यही वजह है कि यहां का सिस्टम लोकल और टूरिस्ट के लिए बेहतर है. हालांकि तकनीक के मामले में इसे बेहतर नहीं माना जाता.

अब भारत में भी एनुअल फीस वाला सिस्टम लागू किया जाएगा. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का दावा है कि पिछले कुछ समय से लोगों में टोल को लेकर दिक्कतें थीं. अब सरकार का निर्णय लोगों को राहत देगा. लोगों को मात्र 3 हजार रुपए में साल भर का पास मिलेगा. अगर उसे टोल पे किया जाए तो कम से कम 10 हजार से ज्यादा कीमत का टोल देना पड़ता, लेकिन यही काम अब 3 हजार रुपए में होगा.

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