Bihar Monsoon Alert: बिहार में 21 जून को मौसम पूरी तरह मानसूनी बना रहेगा. राज्य के अलग-अलग हिस्सों में भारी बारिश, गरज-चमक और तेज हवाओं की संभावना जताई गई है. मौसम विभाग ने राज्य के कई जिलों के लिए चेतावनी जारी की है, खासकर दक्षिण-पश्चिम और उत्तर-पूर्वी जिलों में बारिश का असर अधिक दिखेगा.
20 जून को राज्य के दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम जिलों में अच्छी बारिश दर्ज की गई. बक्सर, भोजपुर, कैमूर, गया, औरंगाबाद, शेखपुरा और नवादा जैसे जिलों में बारिश से तापमान में गिरावट आई. अधिकतम तापमान राज्य के अधिकांश हिस्सों में 30-32 डिग्री के बीच रहा, जबकि न्यूनतम तापमान 24-26 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना रहा.
21 जून को बिहार के उत्तर-पूर्वी जिलों किशनगंज, अररिया और पूर्णिया और दक्षिण-पश्चिम जिलों कैमूर, रोहतास, औरंगाबाद में कुछ स्थानों पर गरज-चमक, वज्रपात और तेज हवाओं (30-40 किमी/घंटा) की संभावना जताई गई है. वहीं बक्सर, गया, शेखपुरा, नवादा और नालंदा सहित सात जिलों में एक-दो स्थानों पर भारी वर्षा की चेतावनी जारी की गई है. लोगों को खुले स्थानों में न जाने, बिजली के खंभों और ऊंचे पेड़ों से दूर रहने और अस्थायी ढांचों को मजबूत करने की सलाह दी गई है.
22 जून (शनिवार) को किशनगंज, अररिया, सुपौल, बांका और भागलपुर जिलों में बहुत भारी वर्षा की संभावना है. साथ ही पूर्णिया, कटिहार, जमुई, मुंगेर, खगड़िया, नवादा, शेखपुरा और मधेपुरा में भी भारी वर्षा हो सकती है. पूर्वी बिहार के अन्य हिस्सों में भी गरज के साथ तेज़ हवाएं चलने की संभावना है.
20 जून की स्थिति के अनुसार दक्षिण-पश्चिम मानसून बिहार के शेष हिस्सों, पूर्वी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड में आगे बढ़ चुका है. मानसून की उत्तरी सीमा अब देहरादून, शिमला, मनाली होते हुए जम्मू-कश्मीर तक पहुंच चुकी है. बिहार के दक्षिण-पश्चिम हिस्से पर बने कम दबाव के क्षेत्र और उससे संबंधित ऊपरी हवा के चक्रवात की वजह से बारिश की गतिविधियां और तेज हो गई हैं. अगले 2-3 दिनों में यह प्रणाली कमजोर पड़ेगी, लेकिन तब तक राज्यभर में व्यापक वर्षा की स्थिति बनी रहेगी.
21 जून को बिहार के कई जिलों में भारी बारिश, वज्रपात और तेज हवाओं की चेतावनी है. खासकर कैमूर, गया, अररिया और पूर्णिया जैसे जिलों में नागरिकों और किसानों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है. मानसून अब पूरे राज्य में सक्रिय है और अगले दो दिनों में इसका असर और अधिक बढ़ेगा. ऐसे में प्रशासनिक तैयारी और आम लोगों की सावधानी ही मौसम से होने वाले नुकसान को रोक सकती है.