बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राजनीतिक बयानबाजी तेज़ हो गई है। इस बार विवाद की जड़ बने हैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शीर्ष पदाधिकारी। पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत और फिर सह-महासचिव दत्तात्रेय होसबोले के बयानों ने राजनीतिक पारा चढ़ा दिया है।
दत्तात्रेय होसबोले ने हाल ही में एक कार्यक्रम में भारतीय संविधान की प्रस्तावना से 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्दों को हटाने की बात कही, जिसके बाद राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने इस बयान को लेकर सख्त तेवर दिखाए हैं।
होसबोले के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए लालू यादव ने कहा:
"RSS को संविधान से डर क्यों है? ये समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता भारत की आत्मा हैं। इन्हें हटाने की बात करना भारत के मूल विचार पर हमला है। हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।"
लालू ने आगे कहा कि,
‘ब्रह्मास्त्र’ के तौर पर इस्तेमाल कर रही RJD"RSS और भाजपा का असली एजेंडा सामने आ गया है। अब वो संविधान बदलने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन बिहार की जनता और हम जैसे लोग संविधान की रक्षा के लिए आखिरी सांस तक लड़ेंगे।"
राजद अब इस मुद्दे को 2025 के विधानसभा चुनाव में प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी में है। लालू यादव ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और सार्वजनिक मंचों से लगातार यह बयान दोहराना शुरू कर दिया है कि संविधान खतरे में है और वोटरों को जागरूक रहना होगा।
राजद इसे संविधान बचाओ आंदोलन की तरह पेश कर सकती है और युवाओं, दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को इसके ज़रिए संघ और भाजपा विरोधी मोर्चे में जोड़ने की रणनीति पर काम कर रही है।
बीजेपी और संघ की सफाईदत्तात्रेय होसबोले के बयान पर सफाई देते हुए संघ से जुड़े सूत्रों ने कहा है कि यह उनकी व्यक्तिगत राय थी और यह कोई आधिकारिक प्रस्ताव नहीं है।
हालांकि, बीजेपी के भीतर भी इस बयान को लेकर मिलीजुली प्रतिक्रिया आई है। कुछ नेता जहां इसे विचार योग्य मुद्दा बता रहे हैं, वहीं कुछ लोग इसे राजनीतिक रूप से संवेदनशील और गैर-ज़रूरी मान रहे हैं।